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जानिए किस समय करें भगवान गणेश की पूजा: संकष्टी गणेश

आज यानी 3 अप्रैल को संकष्टी गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। इसे अंगार चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि मंगलवार के दिन आने वाली चतुर्थी को अंगारक चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी गणेश चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन आती है। माना जाता है कि यदि यह चतुर्थी मंगलवार के दिन हो तो उसका महत्व और अधिक हो जाता है। इस चतुर्थी को दक्षिण भारत बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत किया जाता है। भगवान गणेश के लिए किया गया व्रत विद्या, बुद्धि, सुख-समृद्धि की दृष्टि से बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से इंसान के सारे संकट दूर हो जाते हैं।

पूजा विधि – सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। भगवान गणेश का पूजन करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। इसके बाद भगवान गणेश मूर्ति स्थापित कर पूजन करें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। धूप, दीप के साथ गणेश मंत्र का जाप किया जाता है। इस दिन तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ऊं सिद्ध बुद्धि महागणपति नमः का जाप करें। शाम को व्रत पूरा होने के बाद संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। संकष्टी व्रत का पूजन शुभ मुहूर्त में करना ही लाभदायक माना जाता है। अंगारकी चतुर्थी की तिथि 3 अप्रैल को शाम 4:43 बजे से शुरू हो रही है और 4 अप्रैल को शाम 5:32 बजे तक रहेगी। इस समय के दौरान भगवान गणेश की पूजा करना अति लाभदायक माना जाएगा। संकष्टी के दिन चंद्रमा रात 9:27 बजे निकलेगा।

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