जैसे को तैसा
कुछ दिनों की आंशिक शांति के बाद फिर कश्मीर मंगलवार की रात एक साथ छह जगह हुए हमलों के कारण दहशतजदा हो गया। सुरक्षाबलों के साथ ही सरकारी प्रयास भी वहां अमन लौटाने में परेशान हो रहे हैं। सुरक्षाबलों के ठिकानों पर हमला, मजिस्ट्रेट के यहां हमला! आखिर क्या हो रहा है कश्मीर में? एक तरफ पाकिस्तान हाथ मिलाता है, एशियाई देशों के सहयोग संगठनों में झूठी वाहवाही लूटता है और दूसरी तरफ हमारी सीमा पर कभी संघर्षविराम का उल्लंघन तो कभी कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराता है। दोगली बात करने और दोगली चाल चलने वाले पाक के लिए अब जरूरी हो गया है कि उसे उसी की भाषा में ही समझाया जाए।
क्या ऐसे
आज हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं और अत्याधुनिक तकनीक, विकसित जीवन स्तर, बदलती संस्कृति और डिजिटल इंडिया जैसे विचारों को ग्रहण कर रहे हैं तो दूसरी तरफ एक सदी से भी ज्यादा पुराने- सांप्रदायिकता, गोहत्या, घर वापसी, जातिवाद जैसे मुद्दे हमें उतना ही निराश करते हैं। जिन किसानों को ताकत बनाकर गांधीजी ने हमें आजादी दिलाई वे आज भी लाचार नजर आते हैं और अपने हक की लड़ाई में जान तक गंवा रहे हैं। दमन का तरीका भी अंग्रेजों की तरह निर्मम है- गोली मार दो! उस पर भी हमारे लोकतंत्र के शासक अपनी पीठ थपथपा कर प्रसन्न होते हैं, विदेशों में अपनी झूठी उपलब्धियों के कसीदे खुद ही पढ़ करखुश होते हैं।
आजादी के सेनापति और हमारे राष्ट्रपिता को ‘चतुर बनिया’ की संज्ञा तक देने में इन्हें गुरेज नहीं! बस अपना वोट बैंक बढ़ाओ, चाहे झूठे प्रचार से ही क्यों न। वैसे भी इनकी नजर में आम जनता मूक-निरीह प्राणी है जिसने अपना वोट चंद रुपयों की खातिर पहले ही नीलाम कर दिया है। मीडिया, जो स्वयं को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहता है, आज एक दरबारी कवि की भूमिका में सिमट कर रह गया है। जो इस भूमिका को स्वीकार नहीं करता उसकी पिंजरे के तोते के माध्यम से गला घोंटने की कोशिश की जाती है। अरे, इतना जुल्म तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया था। कुछ छुटभैये नेता और अंधभक्त सोशल मीडिया पर भाटों की भूमिका निभाते नहीं थकते-क्या पता कहीं राजभवन से कोई प्रशस्ति आ जाए!
कभी-कभी तो भ्रम हो जाता है कि हम 2017 के भारत में हैं या ‘वीरगाथा काल’ में। पग-पग पर हमें हमारा धर्म याद दिलाया जाता है। हमें एहसास कराया जाता है कि हम खतरे में हैं (बहुसंख्यक होने के बावजूद) और धर्म पहले है देश बाद में। क्या ऐसे होगा मेरा भारत महान?