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नहीं दी एंबुलेंस, बेटी के शव को स्ट्रेचर पर ले जाने के लिए मजबूर पिता

एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां अस्पताल प्रशासन ने एक पिता को मृत बेटी का शव घर ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराने की जरूरत तक नहीं समझी।  खबर के अनुसार ओडिशा के कंधमाल में अस्पताल द्वारा एंबुलेंस नहीं देने पर परिवार को नाबालिग लड़की का शव स्ट्रेचर पर ही घर तक ले जाने पर मजबूर होना पड़ा। घटना 12 जून (2017) की है। हालांकि अस्पताल से करीब 1.5 किलीमीटर तक शव स्ट्रेचर पर ले जाने के बाद फूलबनी पुलिस ने लड़की के पिता को रोका और शव को घर तक ले जाने के लिए सरकारी वाहन की व्यवस्था की। कंधमाल के कलेक्टर डॉक्टर बरुंदा ने घटना पर तुंरत संज्ञान लेते हुए मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं मामले की जांच कर रहे प्रोजेक्ट डायरेक्टर ऑफ़ डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट एजेंसी (डीआरडीए) के तुषार कांत मोहंते ने घटना की पूरी जांच की और अस्पताल प्रशासन से इस लापरवाही के लिए सवाल पूछे। बाद में तुषार कांत ने मृत लड़की के परिवार से भी मुलाकात की। वहीं खबर के अनुसार तुषार कांत घटना की पूरी रिपोर्ट शुक्रवार (15 जून, 2017) को समिट कर सकते हैं। कलेक्टर डॉक्टर बरुंदा ने आगे कहा कि जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद लापरवाह अस्पताल प्रशासन के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

दूसरी तरफ कंधमाल के चीफ जिला मेडिकल ऑफिसर (सीडीएमओ) ने कहा कि मामले में पूरी जांच के लिए इंटरनल इन्क्वायरी बैठा दी गई है। इन्क्वायरी का बाद सबकुछ साफ हो जाएगा। बता दें कि बीते साल दाना माझी की घटना के बाद ओडिशा सरकार ने महाप्रयान योजना शुरू की थी जिसके तहत सरकार ने लाभार्थियों को अस्पताल से मृतक के शरीर को घर तक ले जाने के लिए वाहन सेवा प्रदान की थी। दिलचस्प बात ये है कि ये दोनों वही कलेक्टर और डीएम हैं, जो दाना माझी घटना के दौरान कालाहांडी में नियुक्त थे, उस घटना के बाद दोनों को कंधमाल में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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