सुन्नी बरेलवी के मौलानाओं ने 45 साल की उम्र से ज्यादा की महिलाओं को बिना किसी पुरुष साथी के हज पर जाने के प्रस्ताव को गैर-इस्लामिक बताया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि हज कमिटी इस सिफारिश पर विचार करेगी। उनके इस बयान के बाद सुन्नी बरेलवी के मौलानाओं ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि अगर बिना किसी करीबी पुरुष साथी के महिलाएं 3 या 4 के समूहों में यात्रा करती हैं तो वह गैर इस्लामिक है। रिपोर्ट के मुताबिक मौलानाओं ने कहा है कि प्रशासन का मकसद महिलाओं के शरिया के खिलाफ करना है।
महिला के साथ उसके पति या किसी एेसे शख्स का साथ होना अनिवार्य है, जिसके साथ उसका खून का संबंध हो। उन्होंने कहा, अगर महिलाएं हज पर अकेले जाती हैं तो यह गुनाह है और यही अधिकारी चाहते हैं। दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने कहा कि हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और यह शरिया के कानूनों के मुताबिक होना चाहिए। इसके तहत महिलाएं किसी पुरुष साथी के हज पर नहीं जा सकतीं।
आईएएस अफसर अफजल अमानुल्लाह की अगुआई वाली हज रिव्यू कमिटी ने एक रिपोर्ट नकवी को सौंपी है, जिसमें कई सिफारिशें की गई हैं। नकवी ने कहा था कि कुछ सिफारिशें साल 2018 से लागू हो सकती हैं। दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता मुफ्ती मोहम्मद जमील खान ने इस पॉलिसी को गैर-इस्लामिक बताया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को इस्लामिक कानून के तहत चलना चाहिए न कि राजनेताओं द्वारा बनाए गए नियमों पर।
उन्होंने कहा कि चूंकि समुदाय में सुन्नी मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, इसलिए सरकार को नेताओं से बातचीत करने के बाद ही कोई नियम बनाना चाहिए। दूसरी ओर जमात रजा-ए-मुस्तफा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी मौलाना शाहबुद्दीन रजवी ने कहा कि वह मुख्तार अब्बास नकली को पत्र लिखकर महिलाओं को अकेले हज पर जाने की इजाजत न देने को कहेंगे।