सांसदों ने पूर्व सांसदों सहित जनप्रतिनिधियों के पेंशन एवं भत्ते पर उच्चतम न्यायालय के एक नोटिस को संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल एवं अतिक्रमण करार देते हुए शुक्रवार को लोकसभा में इस पर कड़ी आपत्ति जताई। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर लोकसभा एवं राज्यसभा के महासचिवों तथा चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है, जिसमें पूर्व सांसदों सहित निर्वाचित प्रतिनिधियों के सदस्यों के पेंशन एवं भत्ते को चुनौती दी गई है। राय ने कहा कि पूर्व सांसदों के वेतन एवं भत्ते का प्रावधान कानून में है।
उन्होंने न्यायालय के इस नोटिस को संसद के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण और उसके अधिकारों में हस्तक्षेप बताया। डॉ राय ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से कहा कि वह सदन की संरक्षक हैं इसलिए वह सांसदों के अधिकारों की रक्षा करें। राय के यह मुद्दा उठाने पर सांसदों ने मेजे थपथपाकर उनका समर्थन किया।
न्यायालय के नोटिस को लेकर कई सदस्य उत्तेजित भी दिखे। बीजू जनता दल के तथागत सत्पथी ने गुस्से में कहा कि न्यायाधीशों और सांसदों दोनों की पेंशन समाप्त कर दी जानी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने सदस्यों की भचता से सरोकार जताते हुए कहा कि वेतन एवं भत्ता सांसदों का विशेषाधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 106 में इसकी गारंटी है। इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए