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बिना परमिट नहीं उड़ा सकते थे पतंग

हमारे देश में कई ऐसे अजीबों-गरीब कानून थे जिन्हें जानकर आप दंग तो होंगे ही साथ ही यह पढ़ने के बाद आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे। आजादी के छह दशक बाद भी देश में ऐसे कई कानून लागू थे जिन्हें सरकार अब एक-एक कर खत्म कर रही है। अगर आप पतंग उड़ाना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास लाइसेंस होना चाहिए। यदि आपके पास लाइसेंस नहीं है तो आपके खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकते है। ऐसे ही अगर आपको सड़क पर कोई करंसी पड़ी हुई मिलती है तो आपको उसे अथॉरिटी को वापस करना हो न की अपनी जेब में डालना होगा जैसे की आजकल लोग करते हैं। आजकल सड़क पर किसी को कोई करंसी मिलती है तो लोग उसे अपनी जेब में डाल लेते हैं। उन्हें इस बात से कोई परवाह नहीं होती की वह किसकी है और कहां से आई है।

सबसे मजेदार कानून था कि यदि किसी इंस्पेक्टर के दांत गंदे पाए जाते हैं तो उसे नौकरी से ही निकाल दिया जाता था। ऐसे ही गंगा में नाव चलाने वाले को टेक्स देना होता था और किसी होटल में कमरा पहले से अपने लिए बुक कराने के लिए भी कानून बनाया गया था। फिलहाल ये सभी कानून अब हटा दिए गए हैं। अब आपको एक-एक कर इन कानून के बारे में बताते हैं। पहले बात करते हैं पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस होने की, देश में इंडियन एयरक्राप्ट एक्ट 1934 बनाया गया था। 80 साल पहले बनाए गए इस एक्ट के तहत आपके पास पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस होना अनिवार्य था। अगर कोई बिना परमिट के पतंग उड़ाता था तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जा जाती थी। यह बिलकुल उसी तरह था जैसे कि हावई जहाज को उड़ाने के लिए जैसे लाइसेंस की जरुरत होती है उसी प्रकार अगर आपको पतंग उड़ानी है तो उससे पहले आपको अपना लाइसेंस बनवाना होगा।

अब बात करते हैं सड़क पर किसी की गिरने वाली करंसी की, इसके लिए ट्रेजर एक्ट बनाया गया था जिसमें यह प्रावधान था कि अगर सड़क पर किसी को दस या उससे ज्यादा रुपए की रकम पड़ी हुई मिलती है तो उसे किसी भी आधिकारी अथॉरिटी को इसकी सूचना देकर उन्हें वह रकम सौंपनी होगी। जैसा की आपको पहले बताया कि सबसे मजेदार कानून देश में यह था कि अगर किसी इंस्पेक्टर के दांत गंदे पाए जाते थे तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाता था। 1914 में एमवी एक्ट बना था जो कि आंध्र प्रदेश में लागू था। नवभारत टाइम्स के अनुसार 100 साल पहले लागू किए गए इस एक्ट के तहत टैफिक इंस्पेक्टर को हमेशा अपने दांतों को चमकता हुआ रखना पड़ता था और अगर ऐसा नहीं होता था तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता था। 1867 में गंगा टोल एक्ट बनाया गया था, जिसमें प्रावधान था कि गंगा में अगर कोई नाव चलाता है और नाव में फेरी लगाता है तो उसे इसके लिए दो आने टेक्स देना होता था।

ऐसे ही किसी होटल में अपने लिए पहले से कमरा बुक करने के लिए भी कानून बनाया गया था। 1948 में दिल्ली होटल कंट्रोल ऑफ एकॉमडेशन एक्ट बनाया गया था जिसका प्रावधान था कि सरकारी मेहमानों के लिए 20 प्रतिशत कमरे पहले से बुक रखने होंगे। इसी के साथ घोड़ा गाड़ी चलाने वालों को भी लाइसेंस की जरुरत पड़ती थी। आजकल जबरदस्ती किसी से मजदूरी कराना एक अपराध है लेकिन 1858 मद्रास कंपलसरी लेबर एक्ट के तहत  पहल किसी से भी जबरदस्ती मजदूरी कराई जा सकती थी। इसी तरह कई और भी कानून है जिन्हें सरकार अभी धीरे-धीरे खत्म करती जा रही है।

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