वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा लगातार मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। ‘I Need To Speak Now’ शीर्षक वाले लेख से सियासी गलियारों में हलचल मचाने वाले सिन्हा ने एक बार फिर से मोदी सरकार पर हमला बोला है। सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ”हम बहुत दिनों से जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आर रही है। इसके लिए हम पहले की सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। क्योंकि हमें पूरा मौका मिला है।” उन्होंने कहा कि 2014 में जब मैं आर्थिक मामलों में आया, तब मैं सिर्फ पार्टी का प्रवक्ता था। तब हम यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते थे।
सिन्हा ने कहा, ”सरकार जीएसटी लेकर आई, मैं जीएसटी के समर्थन में हूं, लेकिन उन्हें काफी जल्दी थी। आनन-फानन में सरकार ने जुलाई में लागू कर दिया। अब जीएसटी रीढ़ की हड्डी बनने में असफल है।” बता दें कि इससे पहले संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी देखी है और उनके वित्तमंत्री भी सभी भारतीयों को गरीबी करीब से दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। जेटली अपने पूर्व के वित्त मंत्रियों के मुकाबले बहुत भाग्यशाली रहे हैं। उन्हें वित्त मंत्रालय की बागडोर उस समय मिली थी, जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल कीमत में कमी के कारण उनके पास लाखों-करोड़ों रुपये की धनराशि थी। लेकिन उन्होंने तेल से मिले लाभ को गंवा दिया।
उन्होंने कहा है कि विरासत में मिली समस्याएं, जैसे बैंकों के एनपीए और रुकी परियोजनाएं निश्चित ही उनके सामने थीं, लेकिन इससे सही ढंग से निपटना चाहिए था। विरासत में मिली समस्या को न सिर्फ बढ़ने दिया गया, बल्कि यह अब और बिगड़ गई है।
सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो दशकों में पहली बार निजी निवेश इतना कम हुआ और औद्योगिक उत्पादन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। कृषि की हालत खस्ताहाल है, विनिर्माण उद्योग मंदी के कगार पर है और अन्य सेवा क्षेत्र धीमी गति से आगे बढ़ रहा है, निर्यात पर बुरा असर पड़ा है, एक के बाद एक सेक्टर संकट में है। वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री रहे सिन्हा ने कहा है कि गिरती अर्थव्यवस्था में नोटबंदी ने आग में घी डालने का काम किया और बुरी तरह लागू किए गए जीएसटी से उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है और कई तो इस वजह से बर्बाद हो गए हैं।
सिन्हा ने कहा है, “इस वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है और बाजार में मुश्किल से ही कोई नौकरी पैदा हो रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिर कर 5.7 प्रतिशत हो गई, लेकिन पुरानी गणना के अनुसार यह वास्तव में केवल 3.7 प्रतिशत ही है।”
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जीडीपी दर गणना की पुरानी पद्धति वर्ष 2015 में नहीं बदली होती तो यह अभी वास्तव में 3.7 प्रतिशत या इससे कम रहती। पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि जेटली को वित्त मंत्रालय के अलावा और कई विभागों की जिम्मेदारियां भी दी गईं, जिससे उनपर अतिरिक्त जिम्मेदारियां आईं और शायद उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षा की गई।