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भारतीय तिरंगा लहराते लाल किले को बताया पाकिस्तान के लाहौर का शालीमार गार्डन

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में दो नए सदस्य देशों के स्वागत के लिए इसके बीजिंग स्थित मुख्यालय में समारोह रखा गया था जिसमें भारतीय तिरंगा लगे दिल्ली के लाल किले की एक तस्वीर को पाकिस्तान के लाहौर का शालीमार गार्डन बताया गया था। समारोह में उस तस्वीर को देख भारतीय और पाकिस्तानी राजनयिक ने इस पर विरोध जताया तो एससीओ के अधिकारियों ने अपनी गलती मानते हुए इसे हटा लिया। दरअसल, यह गलती समारोह के आयोजकों की तरफ से हुई थी जिन लोगों ने फोटो क्रॉसचेक नहीं की। अधिकारियों ने भी इस बात को माना और कहा कि चूंकि बारत और पाकिस्तान दोनों की भागीदारी वाला यह पहला कार्यक्रम था इसलिए सजगता जरूरी थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका और यह गलती हो गई।

बता दें कि पिछले हफ्ते कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारत और पाकिस्तान को स्थाई सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया है। एससीओ की गठन साल 2001 में हुआ था। इसके सदस्य देशों में रूस, चीन, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान हैं। अब से भारत और पाकिस्तान भी इस समूह के सदस्य देश हो गए हैं। यानी अब इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। संगठन का मुख्यालय बीजिंग में है। इसे पॉलिटिकल और सिक्योरिटी ग्रुप कहा जाता है। सदस्य देश इस मंच के जरिए आतंकवाद के खिलाफ खुफिया जानकारी साझा करते हैं।

इस स्वागत समारोह में भारत की तरफ से जो प्रदर्शनी लगी थी उसमें ताजमहल और आगरा का लाल किला दिखाया गया था। ये इमारत साल 1631 और 1648 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा तैयार किया गया था। सफेद संगमरमर से तराशे ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसे दुनिया का सातवां अजूबा माना जाता है और देश-विदेश से हर साल लाखों सैलानी इसे देखने आगरा पहुंचते हैं। दिल्ली के लाल किले को भी मुगल शासक शाहजहां ने ही बनवाया था। यानी भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ की ऐतिहासिक धरोहरों के तौर पर शाहजहां द्वारा बनवाए गए मुगल स्थापत्य कला के बेहतरीन इमारतों को शंघाई सहयोग संगठन ने अपनी प्रदर्शनी में खास स्थान दिया था।

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