हरियाणा पुलिस ने 15 दलित एक्टिविस्टों पर “देशद्रोह” का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है उनमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दो छात्र भी हैं। इन सभी पर “सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण” देने का आरोप है। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने करीब तीन महीने पहले अंबाला के पतरहेड़ी गांव में हुए जातीय संघर्ष में हुई हत्या के आरोपी चार दलितों के रिहाई की मांग के लिए किए गए प्रदर्शन के दौरान ये भाषण दिए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस के अनुसार उस समय हुई हिंसा में मारे गए लोग राजपूत समुदाय के थे।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने उन सभी लोगों पर मुकदमा दायर कर दिया है जिन्होंने 24 अप्रैल को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से “निष्पक्ष जांच” की मांग के लिए “छोटी सी” मुलाकात की थी। मार्च में हुई हत्या के बाद 21 अप्रैल को दलितों ने 21 अप्रैल से 26 अप्रैल को करनाल के करण पार्क में धरना दिया था। दलित गांव में हुए संघर्ष के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
पुलिस एफआईआर के अनुसार गांववालों ने इस प्रदर्शन के दौरान “भड़काऊ भाषण दिए” और “स्थानीय नागरिकों की शांति भंग” की। पुलिस सूत्रों के अनुसार एफआईआर में 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है। करनाल सिविल लाइंस पुलिस थाने के अफसर मोहन लाल ने इस बात की पुष्टि की कि आरोपियों पर दारा 124-ए के तहत दंगा, गैर-कानूनी जमावड़ा और अन्य आरोप लगाए गए हैं। एफआईआर में 24 अप्रैल को करनाल में सड़क जाम करने और पुलिस के काम में बाधा डालने का भी आरोप लगाया है।
करनाल के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि उन्हें आरोपियों पर देशद्रोह की धारा 124-ए लगाए जाने की बात नहीं पता है। रंधावा ने कहा, “ये मामला अंबाला में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से जुड़ा है…मेरी जानकारी में नहीं है कि देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है या नहीं…लेकिन अगर ऐसा है तो हम इस पर कानूनी राय लेंगे और अगर आरोप गलत होंगे तो इसे हटा दिया जाएगा।” प्रदर्शन के दौरान करण पार्क में करीब 400 लोग जमा थे। पुलिस के अनुसार जिन लोगों पर केस दर्ज किया गया है वो आयोजन के मुख्य चेहरे थे।