Mirza Ghalib: मिर्ज़ा ग़ालिब की “हम को मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ‘गालिब’ ये ख्याल अच्छा है”, “हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन बहुत कम निकले” जैसी मशहूर शायरी आपने सुनी तो जरूर होंगी। ग़ालिब की शायरी लोगों के दिलों को छू लेती है। क्या आप जानते हैं कि आज यानि बुधवार को मिर्जा गालिब का 220वां जन्मदिन है। वैसे तो उनका असली नाम मिर्जा असदुल्लाह बेग खान था लेकिन दुनियाभर में लोग उन्हें मिर्जा गालिब के नाम से जानते हैं। मिर्जा गालिब के जन्मदिवस के अवसर पर गूगल ने उनके सम्मान में उनका डूडल बनाया है।
गूगल द्वारा बनाए गए इस डूडल में आप देख सकते हैं कि मिर्जा गालिब एक किले की बालकनी में खड़े हैं जहां से सूर्य दिखाई दे रहा है और गालिब हाथ में कलम और कागज लिए खड़े हैं, मानों की वो कुछ सोच रहे हों। मिर्जा गालिब का जन्म 27 दिसंबर, 1797 में उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था। जब वे मात्र 11 वर्ष के थे तब उन्होंने कलम उठाकर कविताएं लिखाना शुरु कर दिया था। मुगल शासन के काल में मिर्जा गालिब उर्दू और पारसी भाषा के एक महान कवि थे।
मिर्जा गालिब की कविताओं और शायरियों को लोग अपने-अपने तरीके से गाते हैं और ये सभी कविताएं और शायरियां केवल भारतीय युवाओं को ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों को प्ररेरित करती हैं। मिर्जा गालिब का निधन 15, फरवरी 1869 में हुआ था और उनका मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन के चौसठ खंभा के पास स्थित है।
“इस कदर तोड़ा है मुझे उसकी बेवफाई ने गालिब,
अब कोई प्यार से भी देखे तो बिखर जाता हूं मैं”
“हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे”