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मोदी सरकार ने एक साल के लिए बढ़ाया तसलीमा नसरीन का वीजा

भारत सरकार ने निर्वासन में रही रही चर्चित बांग्ला लेखिका तसलीमा नसरीन का वीजा एक साल के लिए बढ़ा दिया है। मूलतः बांग्लादेश की रहने वाली तसलीमा नसरीन को मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा उनके खिलाफ जारी किए गए फतवे की वजह से भारत में रहना पड़ता है। तसलीमा भारत को अपना दूसरा घर बताती रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार तसलीमा का नया वीजा 23 जुलाई 2017 से प्रभावी होगा और एक साल तक के लिए वैध रहेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तसलीमा के वीजा पर अंतिम मुहर लगा दी है। तसलीमा के पास स्वीडन की नागरिकता लेकिन वो साल 2004 से भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं।

तसलीमा नसरीन को 1994 में अपने उपन्यास लज्जा के प्रकाशन पर कट्टरपंथियों के भड़क जाने के बाद देश छोड़ना पड़ा था। लज्जा उपन्यास में भारत में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद बाांग्लादेश में हुए दंगे का चित्रण किया गया है। पेेशे से डॉक्टर तस्लीमा कुछ समय तक अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में भी रही हैं। लेकिन तसलीमा ने बांग्लादेश के बाद भारत के पश्चिम बंगाल में रहने की इच्छा जताई थी क्योंकि वो बांग्लाभाषी लोगों और बांग्ला संस्कृति के बीच रहना चाहती हैं। तसलीमा कुछ सालों तक कोलकाता में रहीं लेकिन 2007 में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद उन्हें राज्य छोड़ना पड़ा था।

तसलीमा का जन्म 25 अगस्त 1996 को आधुनिक बांग्लादेश के मयमनसिंह शहर में हुआ था। उन्होंने छात्र जीवन से ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। उनकी पांच खंडों में प्रकाशित आत्मकथा भी काफी विवादित रही थी। कट्टरपंथी समहूों के विरोध के बाद उन्हें अपनी आत्मकथा से इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद से जुड़ा एक प्रसंग हटाने पर सहमत होना पड़ा था। तसलीमा कई बार भारत की नागरिकता की मांग कर चुकी हैं लेकिन भारत सरकार ने अभी तक उन्हें पूर्ण नागरिकता नहीं दी है और उन्हें बार-बार वीजा बढ़वाना पड़ता है।

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