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राष्ट्रपति शासन चाहती है सेना! आतंकियों से निपटने के लिए

कश्मीर में सेना गर्मियों के दौरान आतंकी वारदातों में भारी इजाफे का सामना कर रही है. ऐसे में जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक सेना ने केंद्र सरकार को संकेत दिए हैं कि वो राज्य में राज्यपाल शासन के हक में है.

क्यों राज्यपाल का शासन चाहती है सेना?
इस रिपोर्ट के मुताबिक सेना का मानना है कि राज्यपाल शासन दक्षिणी कश्मीर में उसे आतंकियों से निपटने में मदद करेगा. ये इलाका पीडीपी का गढ़ रहा है. लेकिन पिछले साल बुरहान वानी की मौत के बाद यहां हालात बिगड़े हैं. पिछले दिनों दक्षिण कश्मीर में बैंकों को लूटने की कई वारदातें हुई हैं. कई बार पुलिस के हथियार छीने गए हैं. यहां के जंगलों और बगीचों में आतंकी झुंडों के कई वीडियो और फोटो सोशल मीडिया में आ चुके हैं. खुफिया सूत्रों का मानना है कि पिछले एक साल में दक्षिणी कश्मीर के सैकड़ों नौजवानों ने हथियार थामे हैं. ऐसे में कड़ी कार्रवाई वक्त की मांग है और ये राज्यपाल शासन में ही मुमकिन है.

पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ने बढ़ाया जनता का गुस्सा?
सेना का मानना है कि हालात पर काबू पाने के लिए कुछ गिरफ्तार अलगाववादियों को कश्मीर वादी से बाहर की जेलों में भेजने की जरूरत है. एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा अधिकारी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘सेना की राय में पीडीपी और बीजेपी के बीच गठजोड़ घाटी में गुस्से की बड़ी वजह है. अगर राज्यपाल का शासन लगता है तो कम से कम इस पहलू का निदान हो जाएगा.’

सरकार की प्रतिक्रिया
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक महबूबा मुफ्ती सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता और लोक निर्माण मंत्री नईम अख्तर राज्यपाल शासन की किसी भी योजना की जानकारी से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली जब चाहे राज्यपाल शासन लागू करने के लिए स्वतंत्र है. हालांकि अख्तर ये भी मानते हैं कि इस कदम से हालात सुधारने में मदद नहीं मिलेगी. उनके मुताबिक ‘इस समस्या का सिर्फ सैन्य समाधान नहीं हो सकता क्योंकि हम यहां लोगों की बात कर रहे हैं. घाटी में स्थिति सिर्फ संवेदनात्मक रवैये से ही सुधरेगी और सत्ताधारी गठबंधन का यही मानना है.’ अख्तर ने माना कि आतंकियों के साथ सख्ती से ही निपटा जा सकता है. लेकिन असल चुनौती इस काम में लोगों का सहयोग हासिल करने की है.

ऐसे लग सकता है राज्यपाल शासन
जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान है. राज्य के संविधान के अनुच्छेद 92 के मुताबिक यहां संवैधानिक संकट की सूरत में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. इसकी घोषणा राष्ट्रपति की रजामंदी से राज्यपाल करते हैं. राज्यपाल शासन के दौरान विधानसभा को या तो भंग किया जा सकता है या फिर स्थगित करने का प्रावधान है. अगर छह महीने में संवैधानिक व्यवस्था स्थापित नहीं होती है तो भारतीय संविधान की धारा-356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है.

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