प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आज मुलाकात कर रहे हैं और इस दौरान सभी की नजरें रूस की मदद से कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर होने पर टिकीं है। ऐसी उम्मीद है कि इस दौरान दोनों देश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रेलवे और सांस्कृतिक आदान प्रदान समेत कई क्षेत्रों के अलावा निजी पक्षों के बीच भी कारोबारी क्षेत्रों में भी समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।
दोनों नेता एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ भी जारी करेंगे। यदि परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो यह समझौता शिखर सम्मेलन का केंद्र बिंदु होगा। संयंत्र की दोनों इकाइयां भारत की परमाणु ऊर्जा उर्जा पीढ़ी को महत्वपूर्ण विकास देंगी। दोनों इकाइयों की क्षमता एक-एक हजार मेगावाट विद्युत उत्पन्न करने की होगी।
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु में परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई पांच एवं छह के निर्माण के लिए ऋण सुविधा संबंधी समझौते की भाषा पर काम करने के लिए रूसी अधिकारियों के साथ अंतिम समय की वार्ता हो रही है। इन रिएक्टरों का निर्माण भारत की ‘न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ और रूसी परमाणु परिसर के नियामक निकाय रोसाटोम की सहायक कंपनी एट्म्सट्रायएक्पोर्ट कंपनी कर रही है।
रूस में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं के बीच आपसी विश्वास एवं समझ बहुत अच्छी है जो पिछले तीन साल में विकसित हुई है।’’ उन्होंने कहा कि आज शिखर सम्मेलन में नेता मौजूदा संबंधों की समीक्षा करेंगे और भविष्य के दृष्टिकोण के ब्लूप्रिंट पर चर्चा करेंगे।