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लखनऊ कि पहली महिला एसएसपी मंजू सैनी का सफर शानदार रहा “ले‌डी स‌िंघम का सफर”, कभी सख्त तो कभी पीड़ित के ल‌िए रोईं तक मंजिल सैनी

लखनऊ में पहली महिला एसएसपी के तौर पर ज्वाइन करने वाली मंजिल सैनी का ट्रांसफर हो चुका है और उनकी जगह ली है दीपक कुमार ने। नजर डालते हैं उनके सफर पर…

आईपीएस मंजिल सैनी ने 18 मई 2016 को राजधानी के एसएसपी की कुर्सी संभालते ही राजनीतिक दबाव और नेताओं की दखलंदाजी के सवाल पर कहा था, ‘मैं इटावा से आई हूं।’ उनके इन शब्दों के मायने समय-समय पर सामने आते भी रहे।

उन्होंने 11 महीने आठ दिन के अपने कार्यकाल में रिकॉर्ड तोड़ निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई की। उनकी सख्त छवि के लिए लोगों ने लेडी सिंघम नाम दिया गया लेकिन यह उनके व्यक्तित्व का एक पहलू भर था।

राजधानी में उनकी पहचान संवेदनशील, मातहतों पर भरोसा करने वाली, जोशीले और उत्साही पुलिसकर्मियों को मौके देने वाली अधिकारी के रूप में ज्यादा नजर आई।

मंजिल सैनी राजधानी की पहली महिला एसएसपी थीं। हालांकि, उनके लिए माहौल कभी अनुकूल नहीं था। उन्हें सपा की सरकार, पुरुषवादी मानसिकता और एक महिला पुलिस अधिकारी की छवि से परे खुद को साबित करना था। …और यह काम उन्होंने बखूबी किया भी।

अगर हालात विपरीत न होते और फोर्स का सपोर्ट होता तो वह और बेहतर काम कर सकती थीं। बुधवार रात राजधानी से तबादले के बाद ‘अमर उजाला’ से बाचतीत में उन्होंने अपने कार्यकाल से संतुष्टि जताई।

‘मंजिल मिले ना मिले, इसका गम नहीं, मंजिल की जुस्तजू में मेरा कारवां तो है’ शेर पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि काम कभी खत्म नहीं होता। सिर्फ अंदाज और तौर-तरीके बदल जाते हैं।

मंजिल सैनी ने काम के लिए कभी वक्त नहीं देखा। सुबह सात बजे वह पुलिस लाइन में परेड की सलामी लेने पहुंच जातीं तो रात तीन बजे तक कैंप ऑफिस में फाइलों के ढेर निपटातीं। यादव का ठप्पा लगाए थानेदारों और पुलिसकर्मियों पर एक्शन लेते समय उन्होंने एक बार भी अपने फैसले के बारे में नहीं सोचा।

पुलिस की छवि को सुधारने के लिए उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी। महिलाओं की सुरक्षा को सजग रहीं। चेन लूट की वारदातें रोकने के लिए मॉर्निंग पुलिसिंग की योजना बनाई तो छेड़छाड़ पर शिकंजा कसने के लिए खुद स्कूटी से गश्त पर निकल गईं।

उन्होंने राजधानी पुलिस के इतिहास में पहली बार परेड कमांडर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

सख्त छवि से इतर मंजिल सैनी एक ऐसी संवेदनशील अधिकारी भी हैं जो पीड़ितों का दर्द सुनकर भावुक हो जाती थीं। सआदतगंज में बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे श्रवण साहू की हत्या के मौके पर उनकी यही संवेदनशीलता सामने आई।

श्रवण की पत्नी को रोते देख वह भावुक हो गईं और उन्हें गले लगाकर इंसाफ दिलाने का वादा किया। सर्विलांस के प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला को उन्होंने गोमतीनगर का चार्ज दिया जहां उसने जमकर भ्रष्टाचार कर विश्वास को ठेस पहुंचाई।

इसके बावजूद मंजिल सैनी ने उस पर कार्रवाई न कर सिर्फ चार्ज से हटाकर क्राइम ब्रांच भेज दिया। यहां उसने श्रवण साहू को फर्जी मामले में फंसाने की साजिश रचकर उनका भरोसा तोड़ दिया। इसके बाद एसएसपी ने धीरेंद्र शुक्ला सहित तीन पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई की। मंजिल सैनी ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसी मिसालें दी हैं जिन्हें राजधानी के बाशिंदे हमेशा याद रखेंगे।

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