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स्मार्ट सिटीज बनाने में बड़ी गड़बड़ कर रही नरेंद्र मोदी सरकार

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ अहम योजनाओं में से एक स्मार्टसिटी भी है लेकिन इसको लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने स्मार्टसिटी बनाने के लिए फंड्स के खर्च को लेकर एक एनालिसिस डेटा रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक यह बात सामने आई है कि स्मार्ट सिटीस बनाने के लिए खर्च की जाने वाली रकम का 80 फीसद हिस्सा, शहर के महज तीन फीसद हिस्से को बनाने के लिए किया जा रहा हो। शहरी विकास मंत्रालय के डेटा के मुताबिक 59 स्मार्ट शहरों पर खर्च किए जाने वाले 1.31 लाख करोड़ रुपये में से 1.05 लाख करोड़ रुपये एरिया बेस्ड डेवलप्मेंट (ABD) पर खर्च किए जाएंगे। एबीडी स्मार्ट सिटी का वह हिस्सा होता है जिसे आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स की मदद से वाईफाई हॉटस्पॉट, सेंसर बेस्ड पब्लिक लाइटिंग, स्टार्टअप प्रमोशन जोन्स और मल्टी-मॉडल ट्रांसिट पॉइन्ट्स बनाए जाएंगे।

59 शहरों का यह एबीडी क्षेत्रफल 246 sq km का है जो कि टोटल एरिया का महज 2.7 फीसद ही है। वहीं 26,141 करोड़ रुपये को बचे हुए हिस्सों जैसे पैन सिटी प्रॉजेक्ट्स या उन प्रॉजेक्ट्स पर खर्च किया जाएगा जो पूरे सिटी को कवर करत हों। पुणे देश की दूसरी बेस्ट स्मार्ट सिटी मानी जाती है। यहां पर स्मार्ट सिटी बनाने के लिए एलॉट किए गए 2,870 करोड़ रुपये में से 2,196 करोड़ रुपये को महज 3.6 sq km का एरिया डेवल्प करने के लिए खर्च किया जाएगा। भुवनेश्वर में 4,537 करोड़ रुपये का 90 फीसद भुवनेश्वर 4 sq km टाउन सेंटर को बनाने के लिए किया जाएगा जो पूरी स्मार्ट सिटी के एरिया का 3 फीसद से भी कम है।

ऐसे ही जयपुर में पैन सिटी एरिया 485 sq km का है और यहां पर 2,341 करोड़ रुपये में से 2.4 sq km एरिया पर 1,521 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ठीक इसी तरह से सूरत में भी 2,597 करोड़ की रकम में से पैन एरिया पर 819 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे जबकि 8.7 sq km एरिया पर 1,802 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ऐसे ही कोच्ची में 65 फीसद रकम छोटे एरिया और जबलपुर, विशाखापट्नम और इंदौर में भी फंड्स का लगभग 90 फीसद स्मार्ट सिटी के कुल क्षेत्रफल के 3 फीसद से भी कम हिस्से पर खर्च किया जाएगा।

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