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NEET में 17% लाने वाले भी बनेंगे डॉक्टर! जानिए कैसे…

17% bring in NEET will become doctor! Know how …

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सोमवार (4 जून) को नीट (NEET) 2018 के रिजल्ट घोषित किए. देश भर में चिकित्सा और दंत चिकित्सा कॉलेजों में दाखिले के लिए यह प्रवेश परीक्षा होती है. कुल 13,26,725 अभ्यार्थियों ने छह मई को आयोजित राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) दी थी. इस बार की एमबीबीएस में एडमिशन के लिए कट ऑफ मार्क्स काफी कम गए हैं, जिससे अब परीक्षा में 17% लाने वालों को भी एमबीबीएस में एडमिशन मिल जाएगा.

17 पर्सेंट, फिर भी मिलेगा एडमिशन
खबर के मुताबिक, अनारक्षित वर्ग के लिए इस बार एमबीबीएस के लिए कट ऑफ मार्क्स 720 में से 119 है. ये कट ऑफ पिछले साल 131 था. वहीं आरक्षित वर्ग के लिए ये कट ऑफ 720 में से मात्र 96 नंबर हैं, जो पिछले साल 107 था. नीट पर्सेंटाइल सिस्टम के हिसाब से इन अंकों का प्रतिशत निकाला जाए तो उसके मुताबिक, इस साल 17 प्रतिशत लाने वाले भी डॉक्टर बनेंगे.

अलग है नीट का पर्सेंटाइल सिस्टम
पिछले साल 720 में से 180 या उससे कम नंबर लाने वाले करीब 4,300 छात्रों को एमबीबीएस में एडमिशन मिल गया था. 180 नंबर पाने का अर्थ है कि छात्र ने करीब 40 प्रतिशत सही उत्तर दिए हैं. यूं तो 720 में से 180 का प्रतिशत 25 होता है, लेकिन नीट के पर्सेंटाइल सिस्टम के हिसाब से साल 2017 में 180 नंबर का अर्थ था कि छात्र ने करीब 64 प्रतिशत तक स्कोर किए हैं. वहीं 270 अंक 80 प्रतिशत के बराबर थे. एडमिशन के लिए 50 प्रतिशत की आवश्यकता थी. ऐसे में पिछले साल 11,114 छात्र जिनके 270 या उससे कम नंबर थे एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन पाने में कामयाब रहे. हालांकि, इसमें से ज्यादातर कॉलेज प्राइवेट थे.

ये है अंक का हिसाब
इस बार जिस छात्र ने 119 अंक पाए हैं, इसका अर्थ है कि उसने कुल 180 सवालों में से करीब 33 प्रतिशत के उत्तर सही दिए हैं. नीट स्कीम के तहत हर सही उत्तर के चार अंक होते हैं, वहीं गलत उत्तर का एक नेगेटिव नंबर होता है. इस हिसाब से यदि किसी ने 180 में से 60 सवालों के उत्तर सही दिए हैं, उसे 240 पॉजिटिव नंबर और 120 नेकेटिव मार्क्स मिले हैं. इसके मुताबिक छात्र को कम से कम 720 में से 120 नंबर तो मिलेंगे ही. ये नंबर अनारक्षित वर्ग को एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के लिए काफी है. इसी तरह आरक्षित वर्ग में 55 उत्तर सही देने वालों को 96 अंक मिले और वे भी एमबीबीएस में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबल हुए.

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