दो साल पहले पूरे देश में दिलीप संघवी का नाम तब सुर्खियों में आ गया था जब वो रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते हुए देश के सबसे अमीर आदमी बन गए थे। संघवी मशहूर दवा कंपनी सन फार्मा के मालिक हैं। भारतीय अरबपतियों की ब्लूमबर्ग लिस्ट 2015 में दिलीप संघवी की दौलत 21.7 अरब डॉलर (13.9 खरब रुपये) आंकी गई थी। लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि अमेरिकी प्रशासन की कड़ाई के चलते दो साल में संघवी को करीब 90,840 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। नतीजतन, भारतीय अरबपतियों की फोर्ब्स लिस्ट 2017 में वो छठवें स्थान पर फिसल गए।
अप्रैल 2017 में संघवी की कुल दौलत 11.1 अरब डॉलर (7.1 खरब रुपये) आंकी गई। अप्रैल 2015 में संघवी की दौलत अपने अधिकतम स्तर (करीब 25 अरब डॉलर) पर थी। दो सालों में संघवी को करीब 14 अरब डॉलर ( 90,840 करोड़ रुपये) का नुकसान हो गया। इस दो सालों में सन फार्मा के शेयर का मूल्य 57 प्रतिशत कम हो गया। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने विदेशों से आयात होने वाली दवाओं की जांच पहले से सख्त कर दी। इसका सीधा असर जेनेरिक दवाएं बनाने वाले सन फार्मा को हुआ। गुजरात के हलोल में स्थित सन फार्मा के प्लांट को अमेरिका जांचकर्ताओं ने मानकों के अनुरूप नहीं पाया था। अमेरिकी एफडीए की जांच के एक साल बाद भी सन फार्मा उसके सभी मानक पूरे नहीं कर पाया।
अमेरिका सन फार्मा की दवा का बड़ा बाजार रहा है। ऐसे में लगातार दो साल तक प्लांट के ठप पड़े रहने से कंपनी को तगड़ा झटका लगा। सन फार्मा के अमेरिका के डेट्रायट स्थित काराको फार्मा प्लांट के साथ भी यही हुआ। एफडीए के अनुसार काराको स्थित फार्मा प्लांट में साफ-सफाई मानकों के अनुरूप नहीं थी। दूसरी तरफ एफडीए ने रिकॉर्ड संख्या में जेनेरिक दवाओं को मंजूरी दी दी। इसका लाभ लेने के लिए दवा कंपनियों में होड़ लग गई नतीतजन पूरी दुनिया में दवाओं के भाव गिर गए। इन दोनों वजहों से सन फार्मा की बिक्री 2017 की पहली तिमाही में घटकर केवल सात प्रतिशत रह गई। वहीं अपने अच्छे दिनों में कंपनी अमेरिका में अपनी 50 प्रतिशत से ज्यादा दवाएं बेचती रही है।
मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि इन दबावों के चलते सन फार्मा की सालाना बिक्री पिछले आठ सालों के न्यूनतम स्तर तक गिर सकती है। दिलीप संघवी सन फार्मा के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। गुजरात के अमरेली के रहने वाले संघवी ने कोलकाता से पढ़ाई की है। उन्होंने सन फार्मा 1983 में अपने पिता से 200 डॉलर उधार लेकर शुरू की थी। सन फार्मा जेनेरिक दवा बनाने वाली दुनिया की पांचवी बड़ी कंपनी है। साल 2016 में सन फार्मा को 4.1 अरब डॉलर (2.6 खरब रुपये) के कारोबार के साथ भारत की सबसे ज्यादा मूल्य वाली दवा कंपनी आंका गया था। सन फार्मा अपनी कुल बिक्री की करीब 72 प्रतिशत दवाएं भारत से बाहर बेचती है।