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31 मार्च तक पुराने नोट डिपॉजिट कराने की परमिशन सभी को क्यों नहीं: SC

.सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और आरबीआई से पूछा कि सभी लोगों को पुराने नोट (1000 और 500) को डिपॉजिट कराने की इजाजत क्यों नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने एक पिटीशन पर सुनवाई के दौरान सरकार और आरबीआई से शुक्रवार तक इस मसले पर जवाब तलब किया है।

– सुप्रीम कोर्ट में पिटीशनर शरद मिश्रा ने यह सवाल उठाया था। इसके बाद कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जेएस खेहर की बेंच ने की।
– पिटीशन में कहा गया था कि सरकार ने पहले तो सभी के लिए 31 मार्च तक पुराने नोट जमा कराने की मियाद दी थी लेकिन बाद में इसे सिर्फ एनआरआई के लिए कर दिया।
– पिटीशन में पीएम मोदी के 8 नवंबर 2016 के भाषण की कॉपी और इसके बाद RBI के कई नोटिफिकेशंस का हवाला दिया गया। इसमें कहा गया कि पहले 31 दिसंबर 2016 को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि RBI की चुनिंदा ब्रांचों में ओल्ड करंसी नोट्स डिपॉजिट कराए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ खास डॉक्यूमेंट्स साथ लाने होंगे।
– सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस डीवाय चंद्रचूढ़ और जस्टिस एके. कौल भी थे।
मोदी ने किया था एलान
– मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के पुराने नोटों पर बैन लगा दिया था। इसके बाद से लोगों से पुराने नोट बैंक में डिपॉजिट और एक्सचेंज करने को कहा गया था। आरबीआई ने नोटबंदी के बाद कई नोटिफिकेशन जारी किए थे।

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