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एक ऐसा टीचर जिसकी कहानी आपको प्रेरणा देगीं

SI News Today

A teacher whose story will inspire you.

  

डॉ. राधाकृष्णन मानते थे कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होगा, तब तक शिक्षा को मिशन का रूप नहीं मिल पाएगा. आज शिक्षक दिवस के दिन हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बतायेगें जो राधाकृष्णन के मिशन को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं. गुरुग्राम के मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में नौकरी करने वाले आशीष एक शख्स हैं जो हर हफ्ते गुड़गांव से उत्तराखंड का सफर सिर्फ गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए करते हैं.

दरअसल, 1882 में उनके दादा जी के दादा जी ने एक संस्कृत स्कूल खोला था. उस दौरान वह गढ़वाल, हिमालय में एकमात्र संस्कृत स्कूल होता था, जिसे संयुक्त प्रांत (ब्रिटिश सरकार) द्वारा मान्यता प्राप्त थी. तब इस स्कूल में बहुत से बच्चे पढ़ने आया करते थे, लेकिन फिर एक ऐसा वक़्त आया जब साल 2013 में केवल तीन ही बच्चों ने दाखिला लिया . वहीँ जब यह बात आशीष को पता तो उन्हें इस बात का बहुत दुख हुआ, शायद उन्हें यह बात समझ आ गयी थी कि गरीबी के चलते लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेज पा रहें हैं. जिसके चलते आशीष ने अपने गांव के पास में ही अपने रिश्तेदारों की मदद से एक कंप्यूटर सेंटर खोल दिया और नाम रखा ‘द यूनिवर्सल गुरुकुल’. इस सेंटर में तिमली और आसपास के इलाकों के बच्चे कंप्यूटर सीखने आते हैं. बच्चों को शिक्षित करने मुहिम में जुटे आशीष का जज्बा कमाल का है. वह हर हफ्ते गुड़गांव से तिमली जाते हैं और कंप्यूटर सेंटर के साथ ही पास के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं.

आशीष ने बताया कि, जिस गांव में वे पढ़ाने जाते हैं वहां गांव से लगभग 80 किलोमीटर के दायरे में कोई स्कूल नहीं है. यही वजह है कि लगभग 23 गांव के 36 बच्चे उनके स्कूल में पढ़ रहे हैं. स्कूल जाने के लिए बच्चे हर दिन 4 से 5 किलोमीटर का सफर करते हैं. बता दें, गुरुग्राम से उत्तराखंड की दूरी 370 किलोमीटर है और 10 घंटे का समय लगता है.

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