After all, why was chosen for the country’s independence on August 15 and 12 o’clock at night?
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जहां गांधीजी के जनांदोलन से देश की जनता आज़ादी के लिए जागरूक हो गयी थी. तो वहीं दूसरी तरफ़ सुभाष चन्द्र बोस की आज़ाद हिन्द फ़ौज की ने अंग्रेज़ शासन के रातों की नींदे चुरा ली थी. 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के ख़त्म होने के समय पर अंग्रेज़ों की आर्थिक हालत ख़राब हो चुकी थी. आलम इतना बुरा था कि अंग्रेज अपना देश तक सँभालने की हालत में नहीं बचें थे.
1945 के ब्रिटिश चुनावों में लेबर पार्टी की जीत ने आज़ादी के दरवाजे खोल दिए थे क्योंकि उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में भारत जैसी दूसरी इंग्लिश कॉलोनियों को भी आज़ादी देने की बात कही थी.
फरवरी, 1947 में लार्ड माउंटबैटन को भारत का आख़री वाइसराय चुना गया जिन पर व्यवस्थित तरीके से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का कार्यभार था. वही वाइसराय बनने के तुरंत बाद, लार्ड माउंटबैटन की भारतीय नेताओं से बात शुरू हो गयी थी, लेकिन ये इतना भी आसान नहीं था.
उस बीच जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को लेकर पहले से ही मनमुटाव चल रही थी. की तभी जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग रख दी थी जिसकी वजह से देश में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गए थे. माउंटबैटन ने इसकी अपेक्षा नहीं की थी और इससे पहले कि हालात और बिगड़ते, आज़ादी 1948 की जगह 1947 में ही देने की बात तय हो गयी.
15 अगस्त का दिन कैसे चुना गया
15 अगस्त, 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के समय जब जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था उस समय लार्ड माउंटबैटन अलाइड फ़ोर्सेज़ के कमांडर थे. इसलिए लार्ड माउंटबैटन 15 अगस्त की तारीख़ को शुभ मानते थे.
12 बजे ही क्यों आज़ाद हुआ देश
जब लार्ड माउंटबैटन ने आज़ादी मिलने की तारीख़ 3 जून, 1948 से बदलकर 15 अगस्त, 1947 कर दी तो देश के ज्योतिषि परेशान हो गए क्योकि 15 अगस्त की तारीख़ अमंगल और अपवित्र थी.
वही सभी ने लार्ड माउंटबैटन को दूसरी तारीख़ें भी सुझाई लेकिन वो 15 अगस्त पर ही अडिग रहे. जिसके चलते ज्योतिषों ने इस परेशानी का उपाए निकला. जिसमे उन्होंने 14 और 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया क्योंकि अंग्रेज़ों के हिसाब से दिन 12 AM पर शुरू होता है लेकिन हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सूर्योदय पर.