पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हजारों करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद वित्तीय फर्जीवाड़े की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। अब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद भी घोटाले के लपेटे में आ गए हैं। गाजियाबाद स्थित सिंभावली शुगर्स लिमिटेड से जुड़े बैंक फ्रॉड मामले में सीबीआई ने पंजाब के सीएम के दामाद और सिंभावली शुगर्स के डीजीएम गुरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया है। उनके अलावा 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) ने 17 नवंबर, 2017 को सीबीआई के समक्ष शिकायत दी थी, लेकिन इस साल 22 फरवरी को सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। बैंक ने 97.85 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा 110 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट का आरोप भी है।
ओबीसी ने वर्ष 2015 में तकरीबन 98 करोड़ रुपये के लोन को फर्जीवाड़ा करार दिया था। बैंक का आरोप है कि शुगर कंपनी ने पहले का कर्ज चुकाने के लिए 110 करोड़ रुपये का कॉरपोरेट लोन लिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री के दामाद के अलावा सिंभावली शुगर्स के अध्यक्ष गुरमीत सिंह मान, सीईओ जीएससी राव, सीएफओ संजय तापड़िया, कार्यकारी निदेशक गुरसिमरन कौर मान के साथ कंपनी और बैंक के अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई ने कई जगह मारे छापे: जांच एजेंसी ने रविवार (25 फरवरी) को दिल्ली, हापुड़ और नोएडा के आठ ठिकानों पर छापे मारे। सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि निदेशकों के आवास के अलावा फैक्ट्री और कंपनी के कार्यालय को भी खंगाला गया। एफआईआर के अनुसार, सिंभावली शुगर्स को वर्ष 2011 में 148.60 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था, जिसका इस्तेमाल निजी उद्देश्यों के लिए करने का आरोप है। एनपीए और धांधली के बावजूद ओबीसी ने 28 जनवरी, 2015 में सिंभावली शुगर्स को फिर से 110 करोड़ रुपये का कॉरपोरेट लोन दे दिया था। नवंबर, 2016 में इसे एनपीए घोषित कर दिया गया था।
विपक्ष हमलावर: बैंकिंग घोटाले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद का नाम आने से राजनीति भी गरमा गई है। पंजाब की विपक्षी पार्टी अकाली दल ने कांग्रेस पर हमला बोला है। पार्टी की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा, ‘आप उस मुख्यमंत्री से और क्या उम्मीद कर सकते हैं जो खुद विदेशों में धन जमा कराने के मामले में घिरे हैं? पूरा परिवार ही घोटालों में डूबा है। यह कतई आश्चर्यजनक नहीं है। यह कांग्रेस की पुरानी आदत है।’