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CBI ने कहा, 2015 में विजय माल्या को गिरफ्तार करने का कोई आधार नहीं था

CBI said there was no basis for arresting Vijay Mallya in 2015

      

मंगलवार को सीबीआई ने कहा कि हवाई अड्डे पर कारोबारी विजय माल्या को हिरासत में लेने के लिये जारी लुक आउट नोटिस कानून की नजरों में टिकाऊ नहीं था। क्योंकि उसमें सुधार की जरूरत थी और उस समय उसके खिलाफ कोई वारंट भी जारी नहीं था। दरअसल जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि एजेंसी अब भी अपनी उसी स्थिति पर कायम है कि 24 नवंबर 2015 को माल्या को गिरफ्तार करने का कोई आधार नहीं था। जब 16 अक्टूबर 2015 को उसे हिरासत में लेने के लिये जारी लुक आउट सर्कुलर के आधार पर लंदन से लौटा था।

हालांकि सूत्रों का कहना है कि पहले सर्कुलर में बदलाव की जरूरत थी। पर जब माल्या एजेंसी से सहयोग कर रहा था। तब साक्ष्य जुटाए ही जा रहे थे क्योंकि उस समय वह सांसद था और उसके खिलाफ कोई वारंट नहीं था। जिसके बाद नोटिस में सुधार की जरूरत को महसूस करते हुए एजेंसी ने आव्रजन अधिकारियों को लिखा कि वह नोटिस में बदलाव करें। और माल्या को हिरासत में लेने के बजाए जब भी वह विदेश जाए तो उसे सूचित किया जाए।

वहीं उनका यह भी कहना था कि यह सुधारा हुआ सर्कुलर 24 नवंबर 2015 को जारी किया गया था। नोटिस जारी किये जाने के बाद भी माल्या ने दस्तावेज उपलब्ध कराए और जांच दल के सवालों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि नया एलओसी जारी होने के बाद वह तीन बार पूछताछ के लिये पेश हुआ था और चार बार विदेश यात्रा पर गया था।

बता दें कि माल्या 9000 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी और धनशोधन मामले का सामना कर रहा है और दो मार्च 2016 को उसने देश छोड़ दिया था। हां वो बात और है कि अभी वह अपने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है।

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