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रेल बैरियर टेक्नॉलजी में बदलाव से समपार पर होंगे हादसे कम, जानिए कैसे ..

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 @RailMinIndia  @narendramodi    

अभी हाल ही में कुशीनगर में हुए रेल हादसे में जब 13 मासूम बच्चो की दर्दनाक मौत हुयी तो पूरा देश हिल गया साथ ही अपने पीछे छोड़ गया सवालों का एक लम्बा जखीरा..
उस रेल हादसे का असल जिम्मेवार कौन था? ये एक अनुत्तरित प्रश्न है। हादसे के बाद सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई मगर कौन सी – यही कि उन स्कूल वालो पर मुक़दमे लाद दिए गए जो शिक्षा प्रसार में अपना योगदान दे रहे थे। क्या ये सचमुच उस हादसे का ये सही निवारण था ?
यदि सरकार सचमुच देश और प्रदेश के नागरिकों के हित में सोचती तो उसका सबसे पहला कदम ये होता कि उस रेल बैरियर को लगवाती जिसकी वजह से ये हादसा हुआ। फिर जिले के सारे स्कूल प्रबंधको की मीटिंग बुलवाकर उनके स्कूल से सम्बंधित कागजात की जाँच करवाई जाती, जिन स्कूलों की मान्यता नहीं थी उन पर मान्यता के मानक पूरे करवाकर उनके विद्यालय मान्यता प्राप्त करवाते फिर स्कूल के वाहनों और उनसे सम्बंधित चालकों के कागजात की जांच करवाकर मानक पूरे करते और चालकों की एक आयु वर्ग जैसे 40-50 वर्ष आयु के ही चालकों को विद्यालय वाहन चलने की अनुमति होती, क्यूंकि इन पर अपने परिवार की जिम्मेवारी होती है, सो वो अपनी गाडी जिम्मेवारी से चलाते है।

मगर सरकार अपनी गलती छुपाने के लिए पब्लिक का ध्यान भटका रही है और पुलिस और शिक्षा विभाग को अवैध वसूली का खुला रास्ता मिल गया। चाहे वो कोई स्कूल वाला हो या कमर्शियल वाहन चालक सबको फंसा रहे है। अब तक जानकारी के मुताबिक 320 स्कूल और 150 से ज्यादा कमर्शियल वाहन चालकों पर कार्यवाही की जा चुकी है।
आप जनता को तो पता ही पूर्वांचल में शिक्षा का प्रसार कितना है अगर इन्ही स्कूल वालो को मान्यता दिलवाकर सर्व शिक्षा अभियान में शामिल कर लिया जाता तो क्या मुसीबत थी। मगर नहीं सरकार पब्लिक को मुर्ख समझती है।

अब आते है रेलवे पर-
रेल मंत्रालय को 150 साल से ज्यादा हो गए है। ट्रैन कितना समय से चलती है ये आपको पता ही है। ऊपर टिकट कैंसलेशन चार्ज 30-50% तक है,  अधिक किराया सुविधा कम, माल ढुलाई, advertisement और अन्य साधनो से रेल आय करती है। मगर रेल मंत्रालय के पास इतना बजट कभी नहीं हुआ की वो अपने सारे समपार ट्रैक्स को बैरियर युक्त कर सके।

साथ ही रेलवे को एक सुझाव जिससे उसपर वेतन का बोझ कम हो जायेगा यदि RDSO सिर्फ अपने रेल बैरियर टेक्नोलॉजी में थोड़ा सा बदलाव कर दे तो इस तरह के रेल हादसे तो कम होंगे साथ ही उस पर वेतन और मुआवजे के मद में होने वाले खर्च में काफी कमी आ जाएगी. दिए गए चित्र में इसका वर्णन है –

@TheSuneelMaurya

 

the authorSunil Maurya
Karm se Engineer Mun se Social Activist

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