संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में ‘लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता’ पर कहा है कि ऐसा कराने पर अलग-अलग चुनाव कराने की तुलना में खर्च में कमी आएगी. विधि और न्याय तथा कॉर्पोरेट कार्य राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने शुक्रवार (16 मार्च) को राज्यसभा को प्रभात झा के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय पर विभाग संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव के एक साथ कराने के मुद्दे पर विचार किया. समिति ने भारत के चुनाव आयोग सहित विभिन्न पक्षों से इस मुद्दे पर बातचीत भी की.
अपनी 79वीं रिपोर्ट में ‘लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता’ पर समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराने पर खर्च में कमी आएगी. चौधरी ने बताया कि फिलहाल, एक साथ चुनाव कराने पर खर्च में होने वाली कमी के अनुपात का अनुमान लगाना अभी संभव नहीं है. विधि और न्याय तथा कारपोरेट कार्य राज्य मंत्री ने बताया कि समिति ने अन्य सिफारिशें भी की हैं. बहरहाल, राज्य सरकारों से इस बारे में कोई सुझाव नहीं मिले हैं.
नीति आयोग ने भी 2024 से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया था, जिससे कि प्रचार मोड के कारण शासन व्यवस्था में पड़ने वाले व्यवधान को कम किया जा सके. ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चुनावों को लेकर कम से कम कैम्पेन किया जाए ताकि सरकारी काम में दिक्कत न हो. कुछ असेंबलियों का कार्यकाल बढ़ सकता है.