डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार व्यापारियों को कैशबैक और ग्राहकों को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर छूट देने जैसे एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है. सूत्रों के अनुसार राजस्व विभाग एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसमें डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वालों को एमआरपी पर छूट (डिस्काउंट) दिया जाए. यह छूट 100 रुपये अधिकतम रखी जा सकती है. वहीं व्यापारियों को कैशबैक की सुविधा दी जा सकती है जो डिजिटल माध्यम से कारोबार के स्तर पर आधारित होगी.
चार मई को होगी जीएसटी काउंसिल की बैठक
संभावना है कि इस प्रस्ताव को चार मई को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाए. इस परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली इसके अध्यक्ष हैं. सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में विचार-विमर्श किया गया. इस बैठक में व्यापारियों को कैशबैक के अलावा टैक्स क्रेडिट लेने के विकल्प पर भी विचार किया गया. लेकिन राजस्व विभाग ने कैशबैक के विकल्प को चुना क्योंकि इसे लागू करना आसान है. प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में प्रत्यक्ष कर की ओर से भी डिजिटल लेन-देन के लिए किसी तरह का प्रोत्साहन देने के विकल्प पर भी विचार किया गया.
तेल पर लागू हो सकता है जीएसटी
काउंसिल की बैठक में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने पर फैसला संभव है क्योंकि क्रूड के दाम में तेजी से भारत में तेल की कीमतों में आग लगी हुई है. इसे लंबे समय से जीएसटी के दायरे में लाने की मांग हो रही है. तेल के इस दायरे में आने से इसकी कीमत घट सकती है. अभी पेट्रोल-डीजल पर केंद्रीय शुल्क के साथ-साथ राज्य सरकारें भी टैक्स लगाती हैं, जिससे यह काफी महंगा मिल रहा है. जीएसटी आने से ये शुल्क हट जाएंगे.
चीनी पर लग सकता है सेस
काउंसिल की बैठक में चीनी पर सेस लगाने पर विचार हो सकता है. टाइम्स नाऊ में छपी खबर के मुताबिक गन्ना किसानों का करीब 20 हजार करोड़ रुपए बकाया है. इसके निपटारे के लिए सरकार चीनी पर सेस लगा सकती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस सेस से सरकार का इरादा एक फंड बनाने का है. उससे गन्ना किसानों का बकाया चुकाया जाएगा. खबरों के मुताबिक चीनी पर 1 से 1.5 रुपए प्रति किलो सेस लगाया जा सकता है.
जीएसटी रिटर्न को सरल बनाने पर फैसला संभव
जीएसटी रिटर्न को सरल बनाने का प्रस्ताव बैठक में रखा जा सकता है. मंत्रियों के समूह ने एक नए मॉडल को मंजूरी दी है. इसमें रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आईटी सिस्टम सप्लाई डाटा व इनवर्ड सप्लाई के आधार पर मासिक रिटर्न जनरेट करेगा. डिफॉल्ट करने वालों की सूची भी बनेगी.