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क्या आपको पता है कि पत्रकार सुधीर चौधरी को क्यों मिली है X श्रेणी की सुरक्षा?

Do you know why journalist Sudhir Chaudhary got X category security?

        

साल 2012 के सितम्बर महीने में कोल ब्‍लॉक आबंटन घोटाले में कांग्रेस सांसद और बड़े उद्योगपति नवीन जिंदल ने एक बड़े मीडिया हाउस के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भूचाल ला दिया था कि कोल ब्‍लॉक आबंटन में उनके खिलाफ खबरें रोकने के लिये जी न्‍यूज ने उनसे 100 करोड़ रुपये की मांग की थी। उन्होंने जी न्‍यूज के संपादक सुधीर चौधरी और जी बिजनेस के संपादक समीर आहलूवालिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोल ब्‍लॉक मामले में जी न्‍यूज उनके खिलाफ गलत खबर दिखा रहा था। 13, 17 और 19 सितंबर को कंपनी के लोगों के साथ मीटिंग हुई जिसमें न्‍यूज चैनल ने इस मामले में नाम न आने के लिए मुझसे 20 करोड़ रुपये मांगे गये, बाद में ये रकम बढ़ाकर 100 करोड़ कर दी गई। उनके करोड़ों की रकम मांगी गई। सबूत के तौर पर नवीन जिंदल ने प्रेस कांन्फ्रेंस में संपादकों से हुई बातचीत के टेप भी जारी किए। इन टेपों में नवीन जिंदल और संपादकों के बीच बातचीत होते हुए स्पष्ट दिखाया गया है।

अपराध शाखा के अंतर-राज्य सेल ने कहा कि उसे ज़ी पत्रकारों के खिलाफ अन्य निर्णायक सबूत मिले हैं। तत्कालीन अपराध शाखा के DCB  S B S Tyagi ने कहा, “प्रथम दृष्टया आपराधिक साजिश और extortion का इसके स्पष्ट सबूत मिले हैं जिससे उनकी गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त है।” पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर Zee Group के दो पत्रकारों जी न्‍यूज के संपादक सुधीर चौधरी और जी बिजनेस के संपादक समीर आहलूवालिया को जेल भी भेज दिया था। ये नौबत तक आ गयी थी कि एक दूसरे को जान से मरने तक की धमकियाँ अपरोक्ष रूप से मिलने लगी थी, जिसके कारण X श्रेणी की सरक्षा चौधरी को मिली। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, जिंदल और उनके ग्रुप के साथ विवाद में कथित तौर पर अंडरवर्ल्ड की तरफ से आया एक धमकी भरा फोन कॉल की वजह से सुधीर चौधरी को सुरक्षा कवर दिया गया है।  

उधर इस संबंध में चैनल का कहना था कि ये सब जी न्‍यूज को बदनाम करने की साजिश है। जिंदल ने चैनल को खरीदने और खबरों को रोकने की कोशिश में नाकाम होने के बाद यह साजिश रची है। जबकि जिंदल के मुताबिक‍ स्टिंग रोकने के लिए जी न्यूज ने उनसे 100 करोड़ रुपए मांगे गए और पैसे नहीं देन पर बदनाम करने की धमकी दी।

नवीन जिंदल ने इस मामले में जी समूह के मालिक सुभाष चंद्रा को भी घसीटा था। इसके बाद दोनों business groups ने एक दूसरे पर केस किया था। कल के समझौते के बाद दोनों समूहों ने इस केस को वापस ले लिया है। राज्यसभा के वर्तमान सांसद डॉ सुभाष चंद्रा और कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सांसद नवीन जिंदल के बीच लंबे समय से चल रहे कानूनी लड़ाई का अंत हो गया है। शुक्रवार (13 जुलाई) को एस्सेल समूह के सुभाष चंद्रा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

राजनीतिक फायदे के लिए बदले दोनों व्यवसायिक समूहों के प्रमुखों ने अपने सुर:-

बीजेपी के एक बड़े नेता, पूर्व में एक केन्द्रीय मंत्री, हरियाणा के एक पूर्व सीएम और दोनों व्यावसायिक घरानों के इस मामले में मध्यस्थता कर एक समझौते पर कि नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से 2019 में बीजेपी के कैंडिडेट होंगे मगर उसके लिए नवीन जिंदल द्वारा किये गए FIR को withdraw करना होगा। अंततः सुधीर चौधरी, समीर आहलूवालिया और डॉ सुभाष चंद्रा के नविन जिंदल के साथ हुए इस समझौते के साथ सभी आरोपों से बरी हो गए और राजीनीतिक फायदा उठाने के लिए कांग्रेस का दामन छोड़ अब बीजेपी का हाथ पकड़ने में ही समझदारी लग रही है। ये एक बहुत बड़ी राजनीतिक डील है जो दो बड़े व्यवसायिक घरानो के बीच भाजपा के नेताओ की मध्यस्थता की वजह से संभव हो पायी। तो अब शायद आप लोगों को समझ आ चुका होगा कि क्यों पत्रकार सुधीर चौधरी को मिली थी एक्‍स कैटेगरी की सिक्‍योरिटी। 

 

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