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क्या केंद्र सरकार व्हाट्सऐप संदेशों को टैप कर ‘सर्विलांस स्टेट’ बनाना चाहती है?: सुप्रीम कोर्ट

Does the Central Government want to create ‘Surveillance State’ by tweaking Whatsapp messages ?: Supreme Court

  

सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन डेटा पर निगरानी करने के लिए सोशल मीडिया हब के गठन के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्णय पर सख्त रूख अपनाते हुए शुक्रवार को पूछा कि क्या सरकार लोगों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करके ‘निगरानी राज’ चाहती है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक की जनहित याचिका पर सुनवाई पर सहमत हुई जिसमें सवाल उठाया गया कि क्या सरकार व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया मंचों पर लोगों के संदेशों को टैप करना चाहती है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा , जस्टिस ए एम खानविलकर एवं जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा की याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया. साथ ही इस मामले में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से सहयोग मांगा. पीठ ने पूछा , ‘क्या सरकार नागरिकों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करना चाहती है ? यह निगरानी राज बनाने जैसा होगा.

मोइत्रा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि सरकार ने आवेदन मंगाए हैं और एक साफ्टवेयर के लिये निविदा 20 अगस्त को खुलेगी जो व्हाट्सएप , ट्विटर , इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों की पूरी तरह निगरानी करेगा. सिंघवी ने कहा, ‘वे सोशल मीडिया हब के जरिए सोशल मीडिया की विषयवस्तु की निगरानी करना चाहते हैं.’ इस पर पीठ ने कहा कि वह 20 अगस्त को टेंडर खुलने के पहले इस मामले को तीन अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर रही है और अटॉर्नी जनरल अथवा सरकार का कोई भी विधिक अधिकारी इस मामले में न्यायालय की सहायता करेगा. इससे पहले 18 जून को शीर्ष अदालत ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार किया था जिसमें सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब बनाने के केन्द्र सरकार के कदम पर रोक लगाने की मांग की गई थी जो डिजिटल तथा सोशल मीडिया की विषयवस्तु को एकत्र कर उसका विश्लेषण करेगा.

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