बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तीसरी वर्षगांठ मनाने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के झुंझुनूं जिले आए थे. उन्होंने उसी वक्त कहा था कि झुंझुनूं ने उन्हें खींचा है. क्योंकि जो काम इस अभियान में झुंझुनूं ने किया है वो पूरे देश में मिसाल है. लेकिन, अब इस आह्वान के बाद छोटे-छोटे गांव और चंद घरों की ढाणियों से भी बड़ा संदेश निकल रहा है. इस बार यह संदेश निकला है नवलगढ़ के पास नवलड़ी ग्राम पंचायत की खीचड़ों की ढाणी से. इस ढाणी में गिनती के 50 घर होंगे. लेकिन यहां पर खीचड़ परिवार ने पहले बेटियों को पैदा होने दिया, इसके बाद उन्हें पढ़ाया तो आज आठ बेटियों में से पांच बेटियां विभिन्न विभागों में ऑफिसर हैं. यही नहीं इन बेटियों ने अपनी बहन की शादी को यादगार बनाने के लिए और उसे अपने भाई की कमी महसूस ना हो इसके लिए उसके सिर पर ना केवल सेहरा सजाया. बल्कि उसे घोड़ी पर बैठाकर डीजे भी बजवाया और जमकर नाच गाना किया.
आठ बहनों में से पांच कर रही हैं नौकरी
जानकारी के मुताबिक डीजे पर जब बहनों के साथ परिवार की महिलाएं झूमीं तो दुल्हन नेहा की 90 साल की बूढ़ी दादी भी खुद को रोक नहीं पाई और उन्होंने भी डीजे पर ठुमके लगाए. आपको बता दें कि नेहा आईओसीएल में ऑफिसर है. जबकि इसकी बड़ी बहनें सभी राजकीय सेवाओं में अधिकारी हैं. सबसे बड़ी बहन अनिता खीचड़ उदयपुरवाटी और नवलगढ़ नगरपालिकाओं की अधिशाषी अधिकारी हैं तो बहन मोनिका बिजली बोर्ड में एईएन, वहीं सरिता जलदाय विभाग में जेईएन तो श्वेता सूरत में एक बैंक में पीओ है. इसके अलावा उसकी एक बहन ने बीटेक कर लिया है और वह आईएएस की तैयारी कर रही है. इसके अलावा नेहा की अन्य बहनें अभी पढ़ रही हैं.
प्रेरणा देने वाला है परिवार
यह परिवार उन लोगों के लिए प्रेरणा देने वाला है. जो बेटियों को बोझ समझता है. इस परिवार में आठ-आठ बेटियां होने के बाद भी इन्होंने कोई बोझ नहीं समझा और उन्हें पढ़ाया. यही वजह है कि आज ये बेटियां इस परिवार का मान बढ़ा रही हैं. अब गांव की महिलाएं भी इस कदम से बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने कभी सोचा भी ना था कि बेटियां सेहरा सजाएंगी और घोड़ी पर बैठेंगी.
इससे पहले सांसद की बेटी ने भी किया था कुछ ऐसा
आपको याद दिला दें कि कुछ दिन पहले सांसद संतोष अहलावत ने भी अपनी बेटी को घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकाली थी. जिसकी प्रशंसा राष्ट्रपति से लेकर अन्य कई केंद्रीय मंत्री कर चुके हैं. वहीं इसके बाद से झुंझुनूं में बेटियों को बराबर के हक का अहसास दिलाने के लिए इस तरह के कदम उठाए जाने लगे हैं. जिसका अनुसरण पूरे प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में हो रहा है.