EPFO's 'unemployed' will get bigger facility!
ईपीएफओ की तरफ से मंगलवार को निर्णय लिया गया कि अगर कोई कर्मचारी एक महीने से ज्यादा समय तक बेरोजगार रहता है तो वह इस स्थिति में अपने फंड की 75 प्रतिशत तक राशि निकाल सकता है. ऐसा करने से उसका पीएफ अकाउंट भी एक्टिव रहेगा. इस बारे में श्रम मंत्री संतोष गंगवार की तरफ से ईपीएफओ के ट्रस्टी की बैठक के बाद यह जानकारी दी गई. गंगवार ईपीएफओ के न्यासियों के केंद्रीय बोर्ड के चेयरमैन भी हैं.
यह है मौजूदा नियम
मौजूदा समय में कोई भी पीएफ खाता धारक दो महीने तक बेरोजगार रहने के बाद ही इस राशि की निकासी कर सकता है. श्रम मंत्री ने यह भी कहा कि ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेट फंड) में ईपीएफओ का निवेश 47,431.24 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और जल्दी ही यह एक लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा. इस निवेश पर प्रतिफल 16.07 प्रतिशत है.
दो महीने बेरोजगार होने पर अलग प्रावधान
गंगवार ने बताया कि हमने इस योजना में संशोधन का निर्णय किया है. इसके तहत एक महीने तक बेरोजगार रहने की स्थिति में ईपीएफओ का कोई भी सदस्य 75 प्रतिशत तक राशि को अग्रिम तौर पर निकाल सकता है और अपने खाते को बनाए रख सकता है. ईपीएफओ योजना 1952 के नए प्रावधान के तहत दो महीने तक बेरोजगार रहने की स्थिति में यूजर अपनी बची हुई 25 प्रतिशत राशि की भी निकासी कर खाते को बंद कर सकता है.
यह होगा फायदा
नई योजना के तहत ऐसे पीएफ खाता धारकों को फायदा मिलेगा जिनकी नौकरी किसी कारणवश चली जाती है. लेकिन वह एक महीले बाद फिर से नौकरी कर प्राप्त कर लेते हैं. इस दौरान अगर उन्हें पैसे की जरूरत पड़ती है तो वह अपने पीएफ अकाउंट में जमा फंड का उपयोग कर सकते हैं. नई योजना में व्यक्ति अपना पीएफ अकाउंट बनाए भी रख सकता है और दूसरी नौकरी मिलने पर इसी को चालू किया जा सकता है. पहले प्रस्ताव था कि 60 प्रतिशत रकम ही वापस ली जा सकेगी लेकिन CBT ने यह सीमा 75 फीसदी कर दी.