Even 71 years after independence, the village is in the same bad condition
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सरकार का देश के हर एक गांव में बिजली पहुंचाने वाला वादा उत्तराखंड के गंगानगर गांव में खोखला साबित हो रहा है. 70 परिवारों वाले इस गांव में लोग आज भी लालटेन, मोमबत्ती के सहारे जीवन चला रहे हैं. तो वही स्कूल जाने वाले बच्चें दिन के उजाले में अपना सारा काम निपटाने को मझबूर हैं. हालांकि, ऊर्जा निगम के स्तर पर गांव में कनेक्शन के प्रयास तो किए लेकिन वन विभाग का पेंच गांव के लिए आड़ा बना हुआ है.
1977 में गृह विहीन मजदूर समिति के सदस्यों को हल्द्वानी वन प्रभाग ने 172 आवासीय पट्टे आवंटित किए थे. जो अब 70 ही रह गए हैं. वही पट्टाधारकों को यह लीज 30 साल में रिन्यू करवानी थी. ऐसे में लोगों ने साल 2007 में मूल पट्टे हल्द्वानी वन प्रभाग में जमा करा तो दिए, लेकिन तब से अब तक 11 साल बाद भी पट्टों का नवीनीकरण नहीं किया गया है. वही अभी हाल ही में गाँव वालो ने वन विभाग के आलाधिकारियों को ज्ञापन देकर नवीनीकरण की मांग की है.
गाँव वाले कहते हैं कि उन्होंने अपनी समस्या को लेकर कई मुख्यमंत्रियों मुलाकात की. जिसके चलते हल्द्वानी डीएफओ को निर्देश दिए लेकिन वन प्रभाग से अब तक अनुमति नहीं मिली.
गांव का हाल इतना बेहाल है कि अगर यहां के लोगों को अपना फ़ोन तक रिचार्ज करवाना होता है, तो इन्हे काठगोदाम पुल के पार करना पड़ता है. वही इस गांव में अगर किसी लड़के के लिए किसी लड़की का रिश्ता शादी के लिए आता भी है तो यह कहकर रिश्ता टूट जाता है कि उनकी लड़की बिना बिजली वाले गांव में नहीं रहेगी.
वही इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने आश्वाशन दिया है कि जल्द ही गांव वालों को बिजली मुहैया कराई जाएगी.