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फारुक अब्दुल्ला ने कहा- सीमा पर शांति कायम करने के लिए भारत-पाक को रास्ता तलाशना चाहिए…

नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारुक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि भारतीय और पाकिस्तानी बलों के बीच संघर्ष से केवल लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं और दोनों देशों की सरकारों को सीमाओं पर शांति कायम करने के लिए रास्ता तलाशना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जब तक वे (भारत और पाकिस्तान) इसको (सीमा पर संघर्ष) नहीं सुलझाते हैं, दोनों पक्षों के लोग परेशान होते रहेंगे और न जाने कितनों की जान जाएगी. हमारे कई सैनिक शहीद होंगे और इसी तरह की स्थिति उनकी तरफ भी होगी.’’

‘भारत सरकार को निश्चित तौर पर रास्ता तलाशना चाहिए’
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत सरकार को निश्चित तौर पर रास्ता तलाशना चाहिए. उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से यह बात कही. उत्तर कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से भारी गोलाबारी से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘वे हम पर गोलाबारी कर रहे हैं और जवाब में हम उन पर. वे हम पर एक प्रतिशत गोलाबारी करते हैं तो हम उन पर दश प्रतिशत, जैसा कि सेना प्रमुख ने कहा है.’’पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा आम लोगों को निशाना बनाये जाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि बम को नहीं पता होता है कि वह कहां गिरने वाला है.

पिछले 10 महीनों में पाकिस्तानी गोलाबारी में छह आम लोग मारे गए
पिछले 10 महीनों के दौरान जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान की ओर से की गई भारी गोलाबारी में छह आम लोग मारे गए हैं जबकि 13 अन्य घायल हुए हैं. राजौरी के जिला विकास आयुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि नौशेरा और मांजाकोट सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और सीमा पार से की गई गोलाबारी में ज्यादा नुकसान इन्हीं इलाकों में हुए. चौधरी ने बताया कि एक मई 2017 से लेकर 25 फरवरी 2018 तक हुई गोलाबारी में 169 घरों और 12 सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचा.

उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीनों में नियंत्रण रेखा के पास के प्रभावित गांवों से 4,600 लोग पलायन कर चुके हैं. स्थानीय प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा के लिए दोनों सेक्टरों में विभिन्न जगहों पर 86 भूमिगत बंकर बनाए हैं. चौधरी ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा के लिए सीमा के पास के 80 से ज्यादा स्कूल बंद कर दिए गए. उन्होंने कहा कि प्रशासन प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने और उनकी समस्याएं कम करने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है और सीमाई इलाकों से पलायन कर चुके लोगों के लिए पर्याप्त सुविधाओं से लैस पुनर्वास एवं राहत शिविरों की स्थापना की गई है.

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