झारखंड में एक महिला और उसकी बेटी पर जादू-टोना करने और डायन होने के आरोप लगाकार अमानवीयता की हद पार करते हुए उन्हें इंसानी मल खाने को मजबूर किया गया और उनके सिर मुंडवा दिए। बेहद शर्मनाक घटना सोनाहतू थाने के अंतर्गत आने वाले डुलमी गांव की है। खबर के मुताबिक पड़ोसियों ने जादू-टोने के शक में शुक्रवार (16 फरवरी) को महिलाओं के साथ वहशियाना व्यवहार किया। पुलिस ने बताया- ”एक महिला और 6 अन्य लोगों के बीमार और बेसुध पड़ने पर एक आदमी को बुलाकर कारण पूछा गया। आदमी के इशारा करने पर लोगों ने महिलाओं को घर से घसीटकर बाहर निकाला और उन्हें मल खाने को मजबूर किया। उनके सिर मुंडवा दिए गए। इस बारे में मामला दर्ज कर लिया गया है और कार्रवाई की जा रही है।” हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक 65 वर्षीय कारो देवी और 35 वर्षीय उसकी बेटी बसंती देवी ने शुक्रवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
दोनों महिलाओं ने शिकायत में बताया है कि उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाकर उन्हें घसीटकर बाहर निकाला और मल खाने पर मजबूर किया। पुलिस ने कहा कि इस मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सोनाहतू पुलिस थाने के प्रभारी अमरदीप ने बताया की 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। भयावह पल को याद करते हुए बसंती ने बताया- ”गुरुवार को 10 बजे के करीब 10-12 लोग, जिनमें ज्यादातर हमारे रिश्तेदार थे, वे आए, हमें घसीटकर घर से बाहर घसीट लिया। उन्होंने हमारे शरीर पर इंसानी मल को मला और हमें मल खाने और पेशाब पीने के लिए मजबूर किया।”
बसंती ने आगे बताया- ”इसके बाद हमें गांव से सुबर्णरेखा नदी पर ले जाया गया, जहां हमारे सिर मुंडवा दिए गए और हमें सफेद साड़ी पहनने के लिए मजबूर किया गया। हमें करीब 2 बजे घर जाने दिया गया।” पीड़िताओं ने बताया कि गांववालों ने उन पर डायन होने का तमगा लगा दिया और तीन लोगों के बीमार होने के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया। आदिवासियों के वर्चस्व वाले झारखंड में डायन बताकर औरतों को मारने के कई मामले सामने आ चुके हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में देश भर में 27 महिलाओं को डायन बताकर मार दिया गया था, जिसमें झारखंड में सबसे ज्यादा महिलाओं मारी गई थीं। हालांकि 2013 के बाद से ऐसे अपराधों में 50 फीसदी तक की कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2001 के से 2016 के बीच अकेले झारखंड में 523 महिलाओं डायन बताकर मार दिया गया।