Kerala is facing a dangerous disease
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केरल में बाढ़ का पानी तो ज्यादातर हिस्सों में उतर गया है लेकिन वहां पर अब बुखार ने लोगों को जकड़ लिया है। जी हां केरल में लेप्टोस्पायरोसिस फीवर काफी तेजी से फैल रहा है। जिसके कारण 29 अगस्त से अभी तक में इस बीमारी ने 9 लोगों की जान ले ली है।
सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि पलक्कड़ और कोझीकोड़ जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस फीवर के कारण सोमवार को दो लोगों की मौत हो गई और राज्य के कई अस्पतालों में 71 लोग इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। जबकि 123 लोगों में इस बीमारी के लक्षण प्राप्त हुए हैं। जहां 13,800 से ज्यादा लोगों ने अस्पतालों में बुखार का इलाज कराया है तो वहीं इनमें डेंगू के 11 मामले व 21 संदिग्ध मामले निकले थे।
जल से पैदा होने वाली यह बैक्टीरियल डिसीज लोगों के लिए जानलेवा होती जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह संक्रमित जानवरों के यूरीन के जरिये फैल रहा है और इस बीमारी का लक्षण मांसपेशियों में दर्द व फीवर आना है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने से ही प्रतिरोधात्मक दवाइयों का वितरण शुरू के साथ ही लेप्टोस्पायरोसिस सहित जलजनित टायफाइड जैसी बीमारियों की भी चेतावनी दी गई थी। जहां एक तरफ रैट फीवर से 3 लोगों की मौत हो गई है वहीं इसपर मंत्री का कहना है कि पीड़ित व्यक्तियों ने प्रतिरोधात्मक दवाईयों का सेवन नही किया था। जिसके चलते वो बीमार हो गए थे।
हालांकि यह फैलने वाली बीमारी नही है पर इसका एंटीबॉयोटिक्स से इलाज किया जा सकता है। केरल के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर मोहम्मद जावेद का कहना है कि पिछले सप्ताह में कोझिकोड और वयनाड जो कि बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हुए थे वहां पर लगभग 30 लोगों की जानें चली गई थी। राज्य में हर साल मॉनसून सीजन में लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सामने आते रहते हैं क्योंकि धान के खेतों पानी भरने की वजह से किसानों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। और यदि किसी प्रकार की चोट लग गई तो इसका खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। फिलहाल यह एक चिंता का विषय है और बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में दिखने वाले पेचिस, यूरीन में ब्लड आना या स्किन पर ब्लीडिंग स्पॉट जैसे लक्षण सामने नहीं आ रहे हैं। इस बार यह इन्फेक्शन फास्ट और प्रोग्रेसिव है जिसके चलते लोगों की मौतें महामारी के खतरे की ओर इशारा कर रही हैं।