Live Legend for Nowadays Businessman Doctors: Prof. T. K. Lahri BHU
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आज सुबह जब मैंने अखबार (DJ) पढ़ रहा था तो मेरे मन में एक अजीब सी हलचल हुयी कि आखिर जो गरीब और असहाय लोग धरती पर डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप मानते हैं, वो आखिर ऐसा कैसे कर सकते है? क्या ये वही लोग है जो हर हाल में हर स्थिति में सेवा की शपथ लेते है? क्या आम और असहाय आदमी, जो आपकी इतनी इज़्ज़त करता है उसके लिए आपके मन में ज़रा भी प्रेम नहीं? वो स्ट्रेचर और बरामदों में दम तोड़ रहे हैं और आप अपनी अदनी सी मांग के लिए उनकी क़ुरबानी ले रहे हैं। ये कौन सा सेवा धर्म है ये कैसी निष्ठा है आपके अपने कर्तव्य निर्वहन की?
ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला वाक़्या हो, इससे पहले भी हमने देखा है कि कैसे ज़रा ज़रा सी बात पर आप लोग हड़ताल पर चले जाते है। कैसे आम आदमी को मरने देते है और कैसे मासूम बच्चों को उनकी माँ की गोद में दम तोड़ने के छोड़ देते है। ये सब होता आपकी नज़रो के सामने और हम बड़ी बेबसी से ये सब होने देते है। कहाँ से लाते है आप इतना मजबूत जिगर? शायद आपके परिवार के सदस्य बीमार नहीं होते या आपकी नौकरी लगते ही बीमारी और दुर्घटना अपना घर बदल देती है, है ना?
खैर छोड़िये जिसे पैसो से लगाओ हो वो समाज का दर्द क्या समझेगा कोई अपना ऐसे दम तोड़े तो भी शायद आप लोग ना समझ पाए क्यूंकि ख़रीदे हुए “दूध से सिर्फ कैल्शियम मिलता है, संस्कार तो सिर्फ माँ के दूध से मिलता है जो शायद आप लोगों को नसीब नहीं हुआ।”
वैसे मेरे इतना चिल्लाने या अपनी भड़ास निकलने के अलावा कुछ कर नहीं सकता क्यूंकि ये जिम्मेदारी सिर्फ आपकी या प्रशासन की है, आम जनता केवल मूक दर्शक ही है। हो सकता कुछ लोग जागकर इस बात को शेयर कर दें या फिर कुछ लिखे कर दें मगर उससे होगा क्या? चलिए कोई बात नहीं लेकिन आप लोगो के लिए एक जिन्दा मिसाल पेश कर रहा हूँ, हो सकता है आपकी आत्मा में कुछ हलचल हो –
जब तमाम डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़ प्राइवेट प्रैक्टिस से करोड़ों का अस्पताल खोलना फायदमंद समझते हैं और लाशों को भी वेंटीलेटर पर रखकर बिल भुनाने से भी नहीं चूकते, उन लोगो के लिए प्रख्यात कार्डियोलाजिस्ट पद्मश्री प्रो. डॉ. T. K. Lahri साहब एक जिन्दा मिसाल हैं। मेडिकल कॉलेज में तीन दशक की प्रोफेसरी में पढ़ा-लिखाकर सैकड़ों डॉक्टर तैयार करने वाले पद्मश्री प्रो. डॉ. T. K. Lahri साहब के पास खुद का चारपहिया वाहन नहीं है। इस समय जब डॉक्टर चमक-दमक ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं, लंबी-लंबी मंहगी कारों से चलते हैं, चंद कमीशन के लिए दवा कंपनियों और पैथालॉजी सेंटर से सांठ-गांठ करने में दिन रात परेशान रहते हैं, चंद नोटों के लिए दौड़-भाग करते हैं, तब ऐसे समय में प्रो. लहरी साहब आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते है। मरीजों के लिए वो किसी देवता से कम नहीं हैं। उनकी इसी निश्छल सेवा धर्म से आज पैसे के अभाव में महंगा इलाज कराने में असमर्थ लाखों गरीब मरीजों का दिल धड़क रहा है। गंभीर हृदयरोगों का शिकार होकर जब तमाम गरीब मौत के मुंह में समा रहे थे, तब डॉ. लहरी ने “संजीवनी बूटी” बनकर उन्हें बचाया। प्रो. टी के लहरी बीएचयू से 2003 में ही रिटायर हो चुके हैं। चाहते तो बाकी साथियों की तरह बनारस या देश के किसी कोने में आलीशान हास्पिटल खोलकर करोड़ों में खेलते, मगर उन्होंने खुद को नौकरी से रिटायर माना ना कि चिकित्सकीय सेवा से। रिटायर होने के बाद भी 15 सालों से बीएचयू को अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं, वो भी पूरी तरह मुफ्त।
प्रो. लहरी साहब पेंशन से सिर्फ अपने भोजन का पैसा रखते हैं, बाकी पैसा BHU को दान कर देते हैं। ताकि महामना का यह संस्थान उस पैसों से गरीबों की खिदमत कर सके। यही नहीं प्रो. लहरी साहब पेंशन से सिर्फ अपने भोजन का पैसा रखते हैं, बाकी पैसा बीएचयू को दान दे देते हैं, ताकि उन पैसों से गरीब और असहाय लोगों का इलाज BHU में हो सके। प्रो. लहरी लोगों के लिए समय के पाबंदी के लिए भी एक मिसाल हैं। 75 साल की उम्र में भी वक्त के इतने पाबंद हैं कि उन्हें देखकर BHU के लोग अपनी घड़ी की सूइयां मिलाते हैं। वे हर रोज नियत समय पर BHU आते हैं और जाते हैं।
उनके अदम्य सेवाभाव और मरीजों के प्रति प्रेम को देखते हुए बीएचयू ने उन्हें इमेरिटस प्रोफेसर का दर्जा दिया हुआ है। यूं तो इस विभूति को बहुत पहले ही पद्मश्री जैसे सम्मान मिल जाने चाहिए थे। देर से ही सही मगर इस महान दिव्य विभूति प्रो. डॉ. T. K. Lahri जी को पिछले 26 जनवरी 2016 में केंद्र सरकार ने पद्मश्री से नवाजा। सच कहा जाय तो लाखों मरीजों का दिल धड़काने वाले प्रो. लहरी ने पद्मश्री का भी सम्मान और गौरव बढ़ाया है और लहरी साहब को देखकर सवाल का जवाब भी मिल गया- डॉक्टरों को भगवान का दर्जा क्यों दिया जाता है। डॉ. लहरी साहब के इस देवतुल्य कार्य के बारे में जानकर उन तमाम डॉक्टरों का जमीर जरूर जागेगा, जिनके लिए चिकित्सा धर्म से बिज़नेस (धंधा) बन चुका है।
मेरा हमेशा से मानना रहा है। धरती पर बुरे लोगों से कहीं ज्यादा अच्छे लोग हैं। तभी दुनिया चल रही है।