Ministry of Defense released the complete truth of the surgical strike.
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जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ने के बाद पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना ने 29सितंबर 2016 में PoK में घुसकर आतंकियों को ढेर किया और उनके लान्च पैठ को हमेशा हमेशा के लिए नेस्तनाबूद कर दिया. इस खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम देकर हमारे जवान सुरक्षित अपनी सीमा में लौट भी आए. इस तरह के ऑपरेशन को सर्जिकल स्ट्राइक कहते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो सामने आया है. यह वीडियो रक्षा मंत्रालय ने जारी किया है. इस वीडियो में भारतीय सेना की शौर्य गाथा का पूरा विवरण है.
https://twitter.com/ANI/status/1045231995544952832
सर्जिकल स्ट्राइक डे
सर्जिकल स्ट्राइक को दो वर्ष पूरे होने वाले हैं. इसके उपलक्ष्य में 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक डे मनाने की भी बात कही गई है. 29 सितंबर को इंडिया गेट के पास एक मल्टीमीडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. जिसमे भारतीय जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान जिन हथियारों का इस्तेमाल किया उन्हें भी आम लोगों को दिखाया जाएगा.
भारतीय जवानों ने इस ऑपरेशन में ट्रिवोर असॉल्ट राइफल का उपयोग किया था. यह इजरायल से मंगवाई गई राइफल थी, जिसे फुल ऑटोमेटिक या सेमी ऑटोमेटिक मोड पर लगाया जा सकता है. इस ऑपरेशन में भारतीय जवानों ने डिस्पोजेबल राकेट लांचर का भी प्रयोग किया था, जिसमें राकेट लांचर को लांच करने के बाद भी ढोने की जरूरत नहीं होती, इसे राकेट की लांचिग के बाद फेंक दिया जाता है. ये सभी हथियार इंडिया गेट पर आम लोगों को दिखाने के लिए रखे जाएंगे.
इससे पहले कब हुआ सर्जिकल स्ट्राइक?
NSCN के आतंकियों ने 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में फौज की टुकड़ी पर हमला किया था. इस आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हुए थे. 10 जून 2015 को इस हमले का बदला लेने के लिए भारतीय जवानों ने म्यांमार की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. तब फौज ने म्यांमार में दाखिल होकर आतंकी संगठन NSCN के टेरर कैंप को तबाह किया था.
गौरतलब है कि, सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवानों को वर्ष 2017 में सम्मानित भी किया गया था. वहीं, पाकिस्तान में हुई इस स्ट्राइक को लेकर कुछ दिन पहले नगरोटा के पूर्व कॉर्प कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने बड़ा खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि इस सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान कमांडो अपने साथ तेंदुए के पेशाब और मल लेकर गए थे ताकि कुत्ते उनसे दूर रह सकें.