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NCP नेता डीपी त्रिपाठी की संघ प्रमुख को गोरक्षा पर बहस की चुनौती

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव और प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को चुनौती दी है कि वह गोरक्षा मुद्दे पर उनसे शास्त्रार्थ करें। उन्होंने कहा कि सनातनी हिन्दुओं को गोरक्षकों की नहीं, गोसेवकों की जरूरत है। गोहत्या पर गुजरात में मुख्यमंत्री द्वारा संशोधित कानून राष्ट्रविरोधी है और ऐसे मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए। पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्त्ता में उन्होंने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हो रही ज्यादतियों के खिलाफ कांग्रेस और अन्य सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को कदम उठाना चाहिए। हालांकि, त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि गुजरात चुनाव में गोहत्या मुख्य मुद्दा नहीं होगा। राकपा के साथ गठबंधन में लड़ रही जद (एकी) ने गोहत्या मुद्दे पर खामोशी बरत रखी है।  गोहत्या संबंधी कानून में गुजरात सरकार के हालिया संशोधन को भारतीय संविधान और हिन्दू संस्कृति के खिलाफ बताते हुए राकपा नेता डीपी त्रिपाठी ने कहा कि देश में गोरक्षा के नाम पर संघ परिवार द्वारा जो माहौल बनाया जा रहा है, वैसे में तो अटल बिहारी वाजपेयी, स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को भी जेल में डाल दिया जाता। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में त्रिपाठी ने कहा, ‘मुझे उनके साथ भोजन का अवसर मिला है, वे क्या खाते थे मुझे पता है। वे अपने साक्षात्कारों में भी बता चुके हैं’। हाल ही में शरद पवार द्वारा उद्धृत वीर सावरकर के वक्तव्य को त्रिपाठी ने दुहराया, ‘गाय एक उपयोगी पशु है, लेकिन जब इसकी उपयोगिता समाप्त हो जाए तो उसे किसी पर बोझ नहीं बनाना चाहिए, इसलिए अगर कोई गोमांस खाता है तो मैं उसे दोषी नहीं मानता’।

राकपा नेता ने कहा कि स्वामी विवेकानंद पर पुस्तक ‘मॉर्डन मांक’ में संग्रहित पत्रों से जाहिर है कि विवेकानंद मांसाहार करते थे और उनका रसोइया अच्छा कबाब बनाता था। त्रिपाठी ने इस मुद्दे पर विनोबा भावे और महात्मा गांधी के भी मत रखे। त्रिपाठी ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर पूरे देश में आज जो माहौल तैयार किया जा रहा है, वह कहीं से भी वेद सम्मत नहीं है। बकौल त्रिपाठी, ‘मैं चुनौती देता हूं कि मोहन भागवत या उनका कोई नुमाइंदा इस मुद्दे पर मुझसे शास्त्रार्थ कर ले’। उन्होंने कहा कि सनातनी हिन्दुओं को गोरक्षक की नहीं गोसेवक की जरूरत है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी गोरक्षकों को गुंडा कहा है। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब में हर तीसरा व्यक्ति कथित गोरक्षा के नाम पर मारा जा रहा है या प्रताड़ित किया जा रहा है।

डीपी त्रिपाठी ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी द्वारा गोहत्या पर कानून लाया गया संशोधन राष्ट्रविरोधी है और ऐसे मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजरात इस तरह का बेरहम कानून पारित करने वाला पहला राज्य है। यह आदिवासियों, मुसलिम, दलित और अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों का हनन है, जबकि गोमांस उत्पादन में गुजरात, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। गौरतलब है कि गुजरात में राकपा, जद (एकी) के साथ आगामी विधानसभा चुनाव लड़ रही है, लेकिन त्रिपाठी ने कहा कि चुनावों में गोहत्या मुख्य मुद्दा नहीं होगा, बल्कि अन्य समस्याएं मुख्य मुद्दा होंगे। जद (एकी) की खामोशी पर उन्होंने कहा कि गठबंधन के बावजूद मतभेद होते हैं, विभिन्न विषयों पर पार्टियों की अपनी राय हो सकती है। राकपा नेता ने कहा जिस देश में 80 फीसद जनता मांस खाते हैं, वहां खाने-पीने के आधार पर यह भेदभाव एक तरह से संविधान प्रदत जीवन के अधिकार के खिलाफ है। उन्होंने कांग्रेस सहित सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से इसके खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।

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