कथित रुप से रहस्यमय परिस्थितयों में गुजर गये विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा है कि उनके परिवार को किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. दिवंगत विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया के पुत्र अनुज लोया ने रविवार (14 जनवरी) को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पिता की मृत्यु को लेकर कोई संदेह नहीं है, पहले था, लेकिन यह दूर हो चुका है’.
आंखों में आंसू लिये अनुज लोया ने गैर सरकारी संगठनों और नेताओं से उनके पिता की मृत्यु को लेकर उनके परिवार को ‘परेशान करना’ बंद करने की अपील की. संघ ने इस सप्ताह की शुरुआत में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर लोया की 2014 में हुई मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग की थी.
लोया उस दौरान 2005 में कथित फर्जी मुठभेड़ में गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति के मारे जाने से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे. न्यायाधीश लोया अपने सहयोगी न्यायाधीश की पुत्री के विवाह में शामिल हो गये थे जहां एक दिसंबर, 2014 को कथित रूप से हृदय गति रूक जाने से उनकी मृत्यु हो गयी थी.
इससे पहले बंबई वकील संघ (बीएलए) ने 13 जनवरी को दावा किया था कि सीबीआई जज बी एस लोया की मौत की जांच की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में ‘एक खास मकसद’ से याचिका दायर की गई है. बीएलए ने दावा किया कि पत्रकार बी आर लोन ने इस मंशा के साथ याचिका दायर की है कि इस मुद्दे पर संघ द्वारा दायर याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय सुनवाई न करे.
उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीश लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और रिकॉर्ड मांगा
उच्चतम न्यायालय ने बीते 12 जनवरी को सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ प्रकरण की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु को ‘गंभीर मामला’ बताते हुये महाराष्ट्र सरकार को उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से कहा था कि इस मामले में 15 जनवरी तक वह जवाब दाखिल करें. पीठ ने कहा कि इस मामले की एक तरफा सुनवाई की बजाये द्विपक्षीय सुनवाई की जरूरत है.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम एम शांतानौडर की पीठ ने कहा था, ‘यह गंभीर मामला है. हम चाहेंगे कि महाराष्ट्र सरकार के वकील निर्देश प्राप्त करें ओर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा अन्य रिकार्ड 15 जनवरी तक पेश करें.’ इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही बंबई लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि यह मामला बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है और शीर्ष अदालत को इस मामले की सुनवाई करने से बचना चाहिए.