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राम विलास पासवान: SC, ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण की पक्षधर है सरकार…

दलित मुद्दों पर अपनी गंभीरता दिखाने के लिए प्रयासरत केंद्र सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के लिए न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएगी. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी राम विलास पासवान ने कहा कि मोदी सरकार दलित संगठनों की मांगों के अनुरूप तीन मुद्दों को सुलझाना चाहती है जिनमें एससी और एसटी के लिए सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण , विश्वविद्यालयों में उनके लिए आरक्षण और उनके खिलाफ अत्याचार पर कानून शामिल हैं. दलित समूहों का कहना है कि इन मामलों पर विभिन्न अदालती आदेशों ने उन पर प्रतिकूल असर डाला है.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार रोकथाम ) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार पहले ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुकी है. वहीं वह एक न्यायिक आदेश में बदलाव की घोषणा भी कर चुकी है जिसके चलते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए आरक्षित सीटों की गिनती के नियम बदल दिए. दलित संगठनों ने दावा किया कि यूजीसी के दिशानिर्देश के बाद एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में कमी आई है.

‘सरकार एससी-एससटी समुदाय के साथ है’
पासवान ने कहा कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत और उनके समेत मंत्रियों के एक समूह की राय है कि सरकार को दोनों समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. इन मुद्दों से निपटने के लिए मंत्रिसमूह बनाया गया है.

दलित मुद्दों पर सरकार के प्रवक्ता के रूप में उभरे लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि एससी और एसटी समुदाय के लोगों को न्याय मिले. पासवान ने पहले संकेत दिया था कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार अध्यादेश लाने से भी नहीं हिचकेगी.

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