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आग लगी या लगायी गयी, हादसा है या फिर सिस्टम में छेद

Setting a fire or an accident, an accident or a hole in the system.

   

देश कई राज्यों में ये देखने को आया है कि जब भी किसी बड़े राजनैतिक या उद्योगपति के खिलाफ जाँच एजेंसी या आयकर विभाग कोई साक्ष्य जुटाता है तो या उस जगह कोई न कोई हादसा हो जाता है। ये एक पैटर्न सा बन गया है। चाहे उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में हुए पोस्टिंग के खेल में हुए घोटाले का मामला हो या पुलिस विभाग में हुयी नियुक्तियों का। घोटाले की जाँच चलती रही है, मगर जैसे कोई पुख्ता सबूत मिलते है वैसे ही विभाग के दफ्तर में आग लग जाती है ऐसा क्यों?

आर्थिक राजधानी मुंबई के सिंधिया हाउस में 1 जून 2018 की शाम को भीषण आग लग गई थी। सिंधिया हाउस की तीसरी और चौथी मंजिल पर आग लगी, आग कैसे लगी, अभी इसका कोई कारण पता नहीं लग सका है। आयकर विभाग की जांच शाखा और ऋण वसूली ट्रिब्यूनल के ऑफिस स्थित हैं। इसी कार्यालय में देश को हजारों करोड़ का चूना लगाकर विदेश भागे ललित मोदी और विजय माल्या से संबंधित मामलों की फाइलें भी रखी थीं। साथ ही PNB घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी से जुड़े सारे कागज़ भी इसी दफ्तर में थे। विभाग द्वारा की गईं छापेमारी से प्राप्त सभी दस्तावेज, जब्ती में प्राप्त चीजें और जुटाए गए साक्ष्य भी यहीं रखे गए थे। आग से इमारत अधिकांश हिस्सा जलकर खाक हो गया। बताया जा रहा है कि आग में पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी से जुड़े कागजात भी स्वाहा हो गए।

एक DRT कर्मचारी ने बताया-“यह करीब शुक्रवार की शाम साढ़े चार बजे की घटना है जब हमें लगा कि कुछ जल रहा है और परिसर को खाली कराया। उन्हें लगता है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी और वह इसे संदेह की दृष्टि से नहीं देखतीं।” उन्होंने कहा, “सुरक्षा बंदोव्सत चाक चौबंद थे। किसी के लिए भी इमारत में घुसना बहुत कठिन है, जहां तक वे जानते हैं विभाग के पास इनमें से अधिकांश दस्तावेजों का बैक-अप नहीं है और अगर ये नष्ट हो जाते हैं तो उन्हें वापस पाना मुश्किल होगा।”

एक जरूरी सवाल  सरकारी हो या प्राइवेट अक्सर जितनी भी बिल्डिंग्स बनती हैं उनके सबसे पहले मानक ही होते है- “अग्नि सुरक्षा”। तो आम जनता ये कैसे मान ले कि मुंबई जैसे शहर के सबसे पॉश इलाके की सबसे बेहतरीन बिल्डिंग सिंधिया हाउस में आग लग गयी,  जिसमे उन अपराधियों के दस्तावेज़ थे जिनपर कार्यवाही चल रही थी। जिन्होंने देश की आम जनता का पैसा लूटा था। ये हादसा है  या फिर सिस्टम में छेद की वजह से सरकार का मज़ाक बनाया जा रहा है? क्या इसका जवाब है किसी के पास ?  क्या देश के सारे नियम कायदे कानून सिर्फ आम और मामूली जनता के लिए ही बने है, जिन्हे किसी भी कानून के बारे में कोई जानकारी होती ही नहीं और वो कोर्ट/वकील/पुलिस के दलदल में फंसते चले जाते है। इनके चक्कर लगाते-लगाते उनकी पूरी ज़िन्दगी निकल जाती है। सरकार और जनता को इस विषय में जागरूकता की आवश्यकता है।

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