लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने सोमवार को कहा कि राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज करके ‘जल्दबाजी’ में कदम उठाया है. चटर्जी ने कहा, ‘इस मामले ने गलत नजीर पेश की है जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.’ उन्होंने कहा कि नायडू को नोटिस खारिज करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था.
‘सभापति को प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए था’
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा , ‘संविधान में प्रक्रियाएं हैं और राज्यसभा के सभापति को जल्दबाजी में कदम उठाने की बजाय इन प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए था.’ महाभियोग नोटिसों के पिछले मामलों का हवाला देते हुए चटर्जी ने कहा कि उस वक्त प्रक्रियाओं का पालन उचित तरीके से किया गया था.
नायडू ने सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस की अगुवाई वाली विपक्षी पार्टियों की ओर से दिया गया अभूतपूर्व महाभियोग नोटिस सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि इसमें ‘पुख्ता आधार का अभाव’ है और आरोप ‘न तो ठोस और न ही स्वीकार किए जाने लायक हैं. ‘
नायडू ने महाभियोग का नोटिस किया खारिज
बता दें प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विक्षप की ओर से दिए गए महाभियोग का नोटिस खारिज करते हुए राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि प्रस्ताव में न्यायमूर्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमतर आंकने वाले हैं.
नायडू ने सोमवार को इस प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए अपने आदेश में कहा कि उन्होंने न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ लगाए गए प्रत्येक आरोप के प्रत्येक पहलू का विश्लेषण करने के बाद पाया कि आरोप स्वीकार करने येाग्य नहीं हैं. उन्होंने आरोपों की विवेचना के आधार पर आदेश में लिखा ‘‘इन आरापों में संविधान के मौलिक सिद्धातों में शुमार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने वाली प्रवृत्ति गंभीर रूप से दिखती है.’’
नायडू ने कहा कि वह इस मामले में शीर्ष कानूनविदों, संविधान विशेषज्ञों, संसद के दोनों सदनों के पूर्व महासचिवों और देश के महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल, पूर्व महान्यायवादी के. पारासरन तथा मुकुल रोहतगी से विचार विमर्श के बाद इस फैसले पर पहुंचे हैं. उन्होंने विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश नोटिस में खामियों का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें सदस्यों ने जो आरोप लगाये हैं वे स्वयं अपनी दलीलों के प्रति स्पष्ट रूप से अनिश्चिचत हैं.