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भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक-2018 को मिली मंजूरी, घूस लेने और देने वालों को होगी 7 साल तक की जेल

The approval for the Prevention of Corruption Act, 2018,  giving and taking of bribe will be cost up to 7 years in prison.

     

भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए लोकसभा ने मंगलवार को भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक-2018 को मंजूरी दे दी है। भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक में रिश्वत लेने वाले के साथ-साथ देने वाले के लिए सजा का प्रावधान किया गया है अब रिश्वत देने वाले को 3 से 7 साल की जेल हो सकती है।

राज्य सभा में ये विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। लोकसभा में भी पारित हो जाने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही ये विधेयक अब कानून बन जायेगा। राज्यसभा ने इस विधेयक को 43 संशोधनों के साथ पारित किया है। इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण देने का प्रावधान है। भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018 को पेश करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक उन अधिकरियों को सुरक्षा प्रदान करेगा, जो अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं।

राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि रिश्वत लेने वाले के साथ रिश्वत देने वाला भी समान रूप से जिम्मेदार है। विधेयक में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए। भ्रष्टाचार निरोधक कानून (1988) करीब तीन दशक पुराना है। इसे पहले संशोधन के लिए 2013 में पेश किया गया था। इसके बाद स्थायी समिति और प्रवर समिति में भी इस पर चर्चा हुई। साथ ही समीक्षा के लिए विधि आयोग के पास भी भेजा गया। समिति ने 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद वर्ष 2017 में इसे दोबारा संसद में लाया गया।

भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक-2018 में निम्नलिखित मुख्य तथ्य उठाये गए हैं-

1. लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केंद्र के मामले में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी होगी।

2. रिश्वत देने वाले को अपनी बात रखने के लिए 7 दिन का समय दिया जाएगा, जिसे 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।

3. जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि रिश्वत किन परिस्थितियों में दी गई है।

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