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CISF की ये पासिंग आउट परेड हुई लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल…

राजस्थान के टोंक जिले के देवली में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के 55 वें(सीआईएसएफ) बैच का दीक्षांत समारोह शनिवार को आयोजित हुआ. समारोह में दूसरे चरण में शनिवार को 1981 जवानों की दीक्षांत परेड आयोजित हुई. जिसमें कुल रिकॉर्ड सर्वाधिक 5400 जवानों को प्रशिक्षण दिया गया. दीक्षांत समारोह के प्रथम चरण में 1950 जवानों की दीक्षांत परेड हुई और शनिवार को द्वितीय चरण में 1981 जवानों की दीक्षांत परेड हुई. यह अपने आप में ऐतिहासिक है. इसी वजह से केंद्र ने लिम्का बुक ऑफ गिनीज में अपना नाम दर्ज करवाया है. शनिवार सुबह 9 बजे आरटीसी परिसर में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक कुमार पतेरिया रहे. मुख्य अतिथि के गॉर्ड ऑफ ऑनर के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. जिसमें दीक्षांत परेड की सलामी के पश्चात परेड निरीक्षण किया गया.

39 सप्ताह चला कड़ा प्रशिक्षण
सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक सरोजकांत मलिक ने बताया कि जवानों को 39 सप्ताह में कड़ा प्रशिक्षण दिया गया. इसमें प्रशिक्षणार्थियों को औद्योगिक सुरक्षा के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा का गहन प्रशिक्षण दिया गया है. आंतरिक सुरक्षा के तहत प्रशिक्षणार्थियों को मेजर एक्ट्स, मानव अधिकारी, फील्ड क्राफ्ट, यूएसी आदि हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया है. नक्सलवाद, उग्रवाद व आंतकवाद को मुंह तोड़ जवाब देने लिए आईआईडी, जंगल वेलफेयर में भी जवानों को प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश को ध्यान में रखते हुए आधुनिक प्रशिक्षण से ही सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी.

2018 का सबसे बड़ा दीक्षांत समारोह
बताया जा रहा है कि सीआईएसएफ का यह दीक्षांत समारोह साल 2018 का सबसे बड़ा दीक्षांत समारोह रहा है. पूरे समारोह का कवरेज ड्रोन के जरिए भी किया गया. वहीं मार्चपास्ट में 160 ट्रेनिज के बॉक्स मंच से गुजरे जो काफी आकर्षक था. इस दौरान प्रशिक्षणार्थी कलेरी पईतु (केरल का मार्शल आर्ट), साइलेंट ड्रिल, मलखम्भ, मार्शल आर्ट काता (चाईनीज मार्शल आर्ट), योग, छाउ नृत्य, परकोल एवं होसटेज रेसस्यू व जुंबा नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहे. समारोह के दौरान सुरक्षा के लिहाज से प्रशिक्षण केन्द्र के चारों ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

1984 में हुई थी प्रशिक्षण केन्द्र की शुरुआत
उल्लेखनीय है कि देवली सीआईएसएफ प्रशिक्षण केन्द्र की अगस्त 1984 में स्थापना हुई थी. उस दौरान इसकी क्षमता महज 500 प्रशिक्षाणार्थी को ट्रेनिंग देने की ही थी. जिसे साल 2009 में बढ़ाकर 1008 कर दिया गया था. वहीं वर्तमान में यह केन्द्र 5400 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे रहा है. गौरतलब है कि इतने बड़े बैच के प्रशिक्षण के चलते यह रिकॉर्ड ऑफ लिम्का बुक में दर्ज हुआ है. इस बैच में जवानों को रण कौशल, गहन हथियार रणनीति, संचार वायरलेस, जंगल वारफेर, ऑपरेशन टैक्टिस और विभिन्न हथियारों का गहन प्रशिक्षण दिया गया है.

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