विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की घोषणा के बाद मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों के परिवारों पर मानों वज्रपात हो गया है। सभी के मन में उम्मीद की किरण बाकी थी कि उनका रिश्तेदार एक दिन घर लौटेगा। गौरतलब है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में घोषणा की कि पूरे सबूत मिलने के बाद मैं कह सकती हूं कि सभी 39 लोगों की मौत हो चुकी है।
इराक में मारे गए 39 लोगों में से एक के परिजन मल्कित राम ने कहा कि मेरे भाई 2012 में इराक गए थे और वहां वह एक कारपेंटर का काम करते थे। हमने विदेश मंत्रालय से प्रूफ मांगा कि वह जिंदा हैं या मर गए। हम डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट की मांग करते हैं। अपने भाई मजिंदर की मौत की सूचना पर उनकी बहन गुरपिंदर कौर ने कहा कि चार साल से विदेश मंत्री हमसे कह रही थीं कि वे जिंदा हैं। मैं अब किस पर भरोसा करूं। मैं उनसे बात करना चाहती हूं। हमें अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है। हमने बस संसद में उनका बयान सुना है। गुरपिंदर ने कहा कि वह डीएनए रिपोर्ट देखना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें डीएनए रिपोर्ट दिखाई जाए।
दूसरी ओर, आतंकियों के चंगुल से बचकर निकले हरजीत मसीह ने बताया, ”मैं जून 2013 में मोसलु गया था। आईएस के करीब 50 नकाबपोश आतंकी हमें अगवा कर एक टेक्स्टाइल फैक्ट्री में ले गए। वहां भारतीयों और बांग्लादेशियों को अलग-अलग किया गया। हम 40 भारतीयों को पहाड़ी इलाके में ले गए। सबको कतार में बैठाकर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। चीख-पुकार के बीच गोलियां की आवाज गूंजती रही। कुछ घंटे बाद जब होश आया तो मेरे चारों तरफ खून ही खून दिखा। सभी 39 साथी मर चुके थे। गोली मेरे दाएं पैर और हाथ को छूकर निकल गई थी। मैं वहां से जैसे-तैसे निकला। टैक्सी पकड़कर एयरपोर्ट पहुंचा। दसूरी टैक्सी ने मुझे आईएस के कब्जे वाली चेकपोस्ट तक पहुंचा दिया। मैंने उन्हें बताया कि मैं बांग्लादेशी हूं, मेरा पासपोर्ट खो गया है। उन्होंने मुझे जाने दिया। मुझे मेरी कंपनी वापस भेज दिया। वहां मैंने किसी से फोन मांगकर भारतीय दूतावास से संपर्क किया। वहां से 14 जून 2014 को स्वदेश लौट आया।”
हरजीत मसीह ने बताया कि भारत आने के बाद उसे एक साल तक दिल्ली में जेल में रखा गया। उससे पूछताछ की जाती रही। गोली मारने वाली बात पर किसी ने उसका यकीन नहीं किया। चंढञीगढ़ में भी वह मीडिया के सामने आया था और गोली का निशान भी दिखाया था। वह 2013 में अन्य लोगों के साथ इराक गया था।
विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने बताया कि इराक से 39 भारतीयों के शव लाने में आठ से दस दिन लगेंगे, क्योंकि कानूनी प्रक्रिया पूरी करना होगी। विशेष विमान से शव लाकर उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा। सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि विपक्ष मामले को गलत रंग दे रहा है। बगैर सबूतों व पुष्टि के किसी को मृत नहीं माना जा सकता।
सुषमा स्वराज ने बताया कि जब आईएस के कब्जे से मोसूल को फिर आजाद करा लिया गया तब लापता भारतीयों की तलाश शुरू हुई। विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि वे खुद इस काम के लिए इराक गए। भारतीय राजदूत व एक इराकी अफसर के साथ सिंह बदोश की जेल पहुंचे, जो भारतीयों की अंतिम लोकेशन थी। सर्च अभियान के दौरान ये तीनों एक छोटे से घर में फर्श पर सोए। स्थानीय लोगों ने सामूहिक कब्र का ठिकाना बताया।