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कब है उगादी मनाने का शुभ मुहुर्त और क्या है पूजन-विधि, जानिए यहाँ…

उगादी 2018 पूजा विधि और शुभ मुहुर्त: उगादी चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाने वाला त्योहार है जिसे प्रमुख रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग बहुत उल्लास के साथ मनाते हैं। उगादी शाब्दिक रूप में युग और आदि के मेल से बना है जिसका मतलब नए युग या साल की शुरुआत होता है। इस साल रविवार यानी 18 मार्च को युगादी पर्वा मनाया जाना है। उगादी पर्व की तैयारियां एक हफ्ते पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग इस त्योहार के मद्देनजर अपने घरों को साफ-सुथरा बनाते हैं और साज-सज्जा के तमाम उपकरणों से घरों को सजाते हैं। आम की पत्तियों से घर का मुख्य द्वार सजाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और पूजा आदि के बाद एक दूसरे को त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं।

उगादी की पूजा-विधिः उगादी के दिन एक खास विधि से पूजा-अर्चना का जाती है। इस दिन ब्रह्म मूहूर्त में उठकर तथा नित्य कामों से निवृत्त होकर अपने शरीर पर बेसन और तेल का उबटन लगाकर और नहाकर शुद्ध होते हैं। इसके बाद हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर भगवान ब्रह्मा के मंत्रों का उच्चारण करके पूजा करते हैं। इस त्यौहार के दिन कुछ लोगों का मानना है कि सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान करने के लिए रंगोली या हल्दी, कुमकुम के साथ एक स्‍वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए। कुछ पंडितों के अनुसार पूजन का शुभ संकल्प कर एक चौकी या बालू की वेदी का निर्माण करते हैं। इसके बाद उसमें साफ सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाते हैं तथा उस पर ब्रह्माजी की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करते हैं। इसके बाद गणेशाम्बिका की पूजा करते हैं और फिर ऊं ब्रह्मणे नमः के मंत्र का जाप करते हैं।

उगादी पूजा मुहुर्त – उगादी के दिन तेलुगु नववर्ष प्रारंभ होता है। इस साल तेलुगु संवत्सर 2075 शुरू होगा। नए संवत्सर की प्रतिपदा 17 मार्च को शाम 6 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी तथा अगले दिन 18 मार्च को शाम 6 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।

उगादी के दिन खास तरह के प्रसाद बनाए जाते हैं। महाराष्ट्रियन लोग इस दिन शक्कर भात, श्रीखंड और पूरी बनाते हैं, जबकि कोंकणी लोग कनंगची खीर बनाते हैं जो शकरकंद, नारियल के दूध, चावल और गुड़ से बना होता है। उगादी के दिन उगादी पचड़ी बनाने की भी परंपरा है। यह कच्चे आम, नीम, इमली और गुड़ के मिश्रण से बना एक पेस्ट होता है। खट्टे-मीठे स्वाद वाले इस डिश का एक प्रतीकात्मक अर्थ होता है जो यह बताता है कि जीवन सुख और दुख के संगम की तरह होता है।

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