Why are we writing? – #RIPRajeshSahni
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लखनऊ।
यूपी पुलिस के तेज तर्रार माने जाने वाले एटीएस के एडिशनल एसपी राजेश साहनी ने मंगलवार की दोपहर अपने दफ्तर में सर्विस पिस्टल से गोली मारकर जान दे दी। उन्होंने आत्महत्या क्यों की फिलहाल इस बात का पता नहीं चल सका है। पुलिस आत्महत्या के पीछे का कारण तलाशने की बात कह रही है।एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि 1992 बैच के पीपीएस अधिकारी राजेश साहनी वर्ष 2014 से यूपी एटीएस में बतौर एडिशनल एसपी तैनात थे।
ऐसी संभावना है आत्महत्या के पीछे पारिवारिक कारण या फिर काम का दवाब हो सकता है, पर अभी तक कारण की कोई पुष्टिï नहीं हुई है। उनके परिवार में पत्नी सोनी साहनी और बेटी श्रेया साहनी मौजूद है।
एडिशनल SP राजेश साहनी की आत्महत्या को लेकर ATS मुख्यालय में तरह-तरह की चर्चाएं सुनने को मिलीं। कोई काम का दवाब बता रहा था तो कोई पारिवारिक वजह। कुछ लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा था कि जब वह दो दिन से छुट्टी पर थे तो वह दफ्तर क्यों आते थे? कहीं ऐसा तो नहीं कि राजेश साहनी किसी काम के दवाब में थे। मुख्यालय में गोली चलने के 1 घंटे बाद भी डॉक्टर टीम न आ सकी। जबकि अभी कुछ दिन पहले बेटी के एडमिशन से बहुत खुश थे। वे स्वयं अपना काम करने में ज्यादा रूचि दिखते थे। यहाँ तक कि गैस सिलेन्डर भी स्वयं साइकिल से लेने जाते थे।
एक अहम् बात जो पता चली है वो ये है कि -” उनके कई अत्यंत निकट साथियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका पारिवारिक स्तर पर किसी भी प्रकार का कोई तनाव नहीं था और उनकी मृत्यु का जो भी सम्बन्ध है वह निश्चित रूप से उनके सरकारी कामकाज से जुड़ा है।”
IIM लखनऊ में किये गए अपने शोध में पाया गया कि यूपी पुलिस में अन्य प्रोफेशन की तुलना में कई गुना ज्यादा तनाव की स्थिति व्याप्त है। राजेश साहनी जी की आत्महत्या उस शोध के परिणाम की कड़ी से जुड़ती नज़र आ रही है। अब वो समय आ चुका है जब राज्य व केंद्र सरकारों को पुलिस में व्याप्त तनाव और उनकी जीवनशैली से प्रभावित सरकारी कार्यों को अधिक गंभीरता से देखना चाहिए।
आइये अब कुछ गणनाएं देखते है जो कि पुलिस और पब्लिक रेश्यो पर आधारित है-
2018 में उत्तर प्रदेश की लगभग आबादी 22.50 करोड़ है और कुल पुलिसवाल(सिविल और आर्म्ड) की संख्या 1 लाख 74 हज़ार है। इसमें अकेले 14,842 VIPs सुरक्षा में ही 47,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी लगे है। इस हिसाब से UP में 74 पुलिसकर्मी /लाख आबादी की सुरक्षा में मौजूद है, जबकि 3.16 पुलिसकर्मी /VIP में लगा है। पिछले पांच वर्षों में राज्यों ने 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए मगर अभी भी ५ लाख से ज्यादा पुलिसकर्मियों की कमी है। January 1, 2012 के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कुल प्रस्तावित State Police (Civil + Armed) 368,618 है जबकि वास्तविक State Police (Civil + Armed) 173,341 ही हैं।
आइये अब देखते हैं की पोलिसिंग के लिहाज से हमारा देश किस स्थान पर हैं-
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सौजन्य से- Wikipedia
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