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10 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है विश्व जैव ईंधन दिवस?

Why is the World Bio Fuel Day celebrated on August 10?

      

डीजल इंजन के आविष्कारक सर रोडोल्फ डीजल ने 10 अगस्त 1893 को मूंगफली के तेल से यांत्रिक इंजन को सफलतापूर्वक चलाया था। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि अगली शताब्दी से जैव ईंधन से चलने वाले यंत्र इस्तेमाल में आने लगेंगे। ऐसे में रोडोल्फ डीजल द्वारा 10 अगस्त 1893 को पहली बार तेल से यांत्रिक इंजन को चलाने की वजह से इसी दिन हर साल विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया जाने लगा।

आज विश्व जैव ईंधन दिवस के मौके पर भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से वादा किया है कि उनकी सरकार जल्द ही खेती में उत्त्पन्न होने वाले कचरे जैसे धान की पुआल, भुट्टे के बेकार अंश, गन्ने की खस और जेट्रोफा इत्यादि से ईंधन बनाने को लेकर काम शुरू करेगी। जल्द ही भारत के अधिकतर सार्वजनिक परिवहन बायो सीएनजी से चलेंगे और इसे गावों और शहरों से निकले जैविक कचरे से उत्त्पन किया जायेगा। इस कार्यक्रम में PM मोदी ने कहा कि सरकार ने पेट्रोल में 2022 तक 10% और 2030 तक 20% इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है।

PM मोदी ने जैव ईंधन की निर्भरता से किसानों के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने में कैसे मदद मदद मिल सकती है इसके बारे में विस्तार से सम्बोधन किया। भारत सरकार ने जून 2018 में जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति को भी मंजूरी दे दी थी।

वही पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री और कौशल विकास और उद्यमिता, भारत सरकार धर्मेंद्र प्रधान ने अपने ट्विटर हैंडल से PM मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा है कि बायोफ्यूल से बदलाव की क्रांति घर-घर सिर्फ सरकार के प्रयासों से नहीं पहुंच पाएगी, बल्कि इसमें छात्रों की, शिक्षकों की, वैज्ञानिकों की, उद्यमियों की, जन-जन की भागीदारी अहम है।

यदि वर्तमान भारत सरकार इस दिशा में वाक़ई कोई ठोस कदम उठाती है तो इससे भारत की कच्चे तेल के लिए खाड़ी देशो पर निर्भरता काफी कम होने के साथ साथ देश में तेजी से बढ़ रही कचरे और प्रदूषण की गंभीर समस्या भी काफी हद तक कम हो जाएगी।

@TheSuneelMaurya

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