Why torture with policemen in Uttar Pradesh?
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उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश मे पुलिस व पीएसी के वरिष्ठ दारोगा 4800 ग्रेड पे व वरिष्ठ सिपाही 2800 रुपये ग्रेड का वेतन पा रहे हैं जबकि विभाग में ये दोनों ग्रेड लागू नहीं हैं। इससे पांच हजार दारोगा व बीस हजार सिपाहियों को वेतन विसंगति से जूझना पड़ रहा है। इस मामले में एडीजी कार्मिक ने आइजी स्थापना को पत्र लिखा लेकिन समस्या का निस्तारण नहीं हो पाया। इसका कारण इनकी समस्या के लिए किसी मंच का न होना माना जा रहा है।
देवीपाटन मंडल के जिलों में चालीस दारोगा हैं जिन्हें विभाग 4800 ग्रेड पे का वेतन दे रहा है जबकि उनका ग्रेड पे 4200 से दस साल बाद 4600, सोलह साल बाद यह ग्रेड 5400 मिलना चाहिए लेकिन इन्हें सोलह साल बाद ग्रेड वेतन 4800 दिया जा रहा है। पुलिस विभाग में 4800 ग्रेड पे का कोई पद नहीं है। यही हाल सिपाहियों का है जिन्हें दस साल की सेवा के बाद ग्रेड पे 4200, 16 साल की सेवा के बाद ग्रेड पे 2800 और 26 वर्ष की सेवा के बाद 4200 ग्रेड पे दिया जा रहा है। वास्तव में पुलिस विभाग में 2800 को पे ग्रेड लागू नहीं है। यह वेतन सहायक उपनिरीक्षक बाबू संवर्ग का है। यह स्थिति वित्त नियंत्रक यूपी पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद ने जन सूचना अधिकार में स्पष्ट कर दी है। इससे पांच हजार दारोगा व बीस हजार सिपाही वेतन विसंगति से परेशान हैं। इनमें पुलिस व पीएसी के जवान व हवलदार शामिल हैं। पांचवें वेतन आयोग में दारोगा का वेतन स्केल 5500 से 9000 था। छठे वेतन में न्यूनतम 1.86 की वृद्धि की गई लेकिन दारोगा के वेतन में ऐसा नहीं हुआ। अन्य विभागों में 5500 से 9000 पाने वालों का ग्रेड पे 4600 या 4800 है लेकिन दारोगा का ग्रेड पे 4200 है। अब इनका मूल वेतन 13500 है जो 5000 से 8000 वाले वेतन स्केल के बराबर है। 5500 का 1.86 गुना 14430 होता है और इनका ग्रेड पे 4600 होना चाहिए। इसका नुकसान ज्यादा सर्विस करने पर भी इन्हें कम पेंशन बनती है। मेरठ की छठी पीएसी वाहिनी के जवान होती लाल ने जन सूचनाधिकार के तहत इलाहाबाद पुलिस मुख्यालय से ग्रेड की जानकारी मांगी जिसमें कहा गया कि विभाग में निरीक्षक 4600, दारोगा 4200 , दीवान 2400 व आरक्षी 2000 का वेतन ग्रेड है लेकिन ग्रेड वेतन 2800 व 4800 लागू नही है।सिपाहियों को सेवा की तीन स्टेज आठ, 14 व 22 साल में स्केल और इंक्रीमेंट मिलते हैं। 22 साल की सेवा के बाद सिपाही चाहे एसआई के पद पर प्रमोट हुआ हो या नहीं उसे एसआई वाला 4200 रुपये का ग्रेड पे मिलने लगता है। छठे वेतनमान में एश्योर्ड करियर प्रॉसेस के तहत कॉन्स्टेबल का ग्रेड पे 2000, हेड कॉन्स्टेबल का 2400 और बीच में एएसआई का 2800 वाला ग्रेड पे जुड़ गया। जबकि यूपी पुलिस में एएसआई का पद ही नहीं है। इस ग्रेड पे को लेकर अराजपत्रित पुलिसकर्मियों में बड़ा विरोध चल रहा है। इसे खत्म कर 2400 के बाद सीधे 4200 का एसआई वाला ग्रेड पे दिए जाने की मांग की जा रही है। डीजीपी मुख्यालय के आला अधिकारी इस कोशिश में हैं कि हजारों की संख्या में मौजूद पुलिसकर्मियों की इस विसंगति को दूर किया जा सके। दरअसल सिपाहियों के साथ के सरकारी विभाग के दूसरे कर्मियों का ग्रेड पे छठे वेतनमान के बाद काफी बढ़ गया है जबकि सिपाहियों का ग्रेड पे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के आसपास है।
1- उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों से 8 घंटे की बजाय 24 घन्टे की ड्यूटी क्यो ली जाती है ! या फिर अतिरिक्त ड्यूटी का पैसाः क्यो नही दिया जाता.डायल 100 गाडियो पर एक सिपाही दो शिफ्टो मे काम करता है वेतन एक शिफ्ट का मिलता है..
2- अन्य राज्य कर्मचारी की भांति पुलिसकर्मियों का राजपत्रित/
राजकीय अवकाश के बदले अन्य कार्य दिवसों में न ही समायोजित नहीं किया जाता है और न ही उचित 120 दिनों का अतिरिक्त वेतन दिया जाता है?
3- पुलिस विभाग में आकस्मिक/उपार्जित अवकाश का समयानुसार निस्तारण की न कोई सुचारू व्यवस्था है और न ही कोई विशेष पद्धति , यह अधिकारीगण के मानसिकता पर निर्भर रहता है न की किसी विशेष पद्धति पर। लाख कोशिश के बाद भी आकस्मिक अवकाश हमारे आकस्मिक स्थिति पर नहीं मिल पाती, पूरी CL और EL न मिल पाने की ऐसी स्थिति में हमे उन CL और EL का पैसा क्यो नही दिया जाता है?
4- सिपाही के प्रमोशन के सारे रास्ते क्यो बंदकर दिए गए, जैसे की रैंकर प्रमोशन?
यह व्यवस्था नये उर्जावान एवं उत्साही सिपाही का मनोबल बढ़ाता था। क्या इसे सिर्फ उत्तर प्रदेश में बन्द करना उचित था?
5- उत्तर प्रदेश पुलिस का वेतन अन्य राज्यो की पुलिस से कम क्यों मिलता है? जबकि यूपी के एक सिपाही पर 10000 से भी अधिक लोगो की हिफाज़त की ज़िम्मेदारी है।
6- पुलिस विभाग के सिपाहियों को विभागीय अन्य कार्य हेतु पैसे का नगदीकरण न होने पर अपने वेतन का 50 प्रतिशत खर्च करना पड रहा है जिस पैसे की वापसी के लिए 10%तक पैसा अधिकारियो के लिए काट कर 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक वापस किया जाता है।
7- पुलिस के सिपाही को 100 रुपये साइकिल भत्ते पर 10 कि मी की दूरी 5 मिनट मे क्यो कराने पर मजबूर किया जाता है।
8- सिपाही का स्थान्तरण निश्चित समय के लिए क्यो नही किया गया।
इससे सिपाही के बच्चों की पढ़ाई से लेकर के अन्य समस्या का सामना करना होता है।
9- यूपी पुलिस के सिपाही को मिलने वाले भत्तो को वर्तमान समय के अनुसार न होकर 1861 के नियम से क्यो दिया जा रहा है।
10- 1861 के सिस्टम को क्यो नही बदला या संशोधन किया गया।
उपरोक्त सभी बिंदु का सविंधान सुप्रीम कोर्ट व मानवाधिकार के अनुसार अटूट सत्य और पुलिस कर्मियों के हित में कार्यवाही आवश्यक है।विसंगति यह है कि पुलिस महकमे में कभी सिपाही और सरकारी स्कूल के शिक्षकों का वेतन बराबर था लेकिन अब सिपाही बहुत पीछे रह गए हैं।