राज्य सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को बताने जा रही है कि वह नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर वेतन देने में सक्षम नहीं है. सरकार अपनी तरफ से कोर्ट में यह दलील देगी की वह शिक्षकों के वेतन में अधिकतम 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर सकती है. वह भी ऐसे शिक्षकों को बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा जो विशेष परीक्षा में पास होंगे.
27 मार्च को कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के तरफ से अपना पक्ष रखा जाएगा.सुप्रीम कोर्ट में अभी इस मामले की सुनवाई चल रही है और हालिया सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि आखिर, शिक्षकों की सैलरी चपरासी से भी कम क्यों दी जा रही है. पर कुछ जानकारों का यह मानना है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगा ऐसा नहीं लगता है. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख को देख कर लगता है कि सरकार का यह नया प्रस्ताव भी स्वीकार नहीं करेगा.
बिहार में साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को पहले ही पटना हाइकोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था. जिसके बाद सरकार ने उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. जिसकी सुनवाई अभी चल रही है और अगली सुनवाई 27 मार्च को की जाएगी.