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मानहानि केस में केजरीवाल की पैरवी करते रहेंगे जेठमलानी

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा राम जेठमलानी को अपने वकील के काम से मुक्‍त करने की खबरों के बीच दिल्ली सरकार की ओर से बयान दिया गया है। मीडिया में आ रही खबरों का खंडन करते हुए दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने जेठमलानी को केस से नहीं हटाया है। दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि केजरीवाल ने मानहानि का केस लड़ रहे जेठमलानी को हटा दिया है। जिसके बाद अब मनीष सिसोदिया की ओर से इस मामले में सफाई पेश की गई। बता दें कि देश के जाने-माने वकील रामजेठमलानी, केजरीवाल के खिलाफ वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दायर किया गया मानहानि का केस लड़ रहे हैं। इस मामले को लेकर पिछली सुनवाई के दौरान जेठमलानी ने जेटली पर कोर्ट रूम के अंदर गंभीर टिप्पणी की थी।

शुक्रवार को खबर आई थी कि दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राम जेठमलानी को अपने वकील के काम से मुक्‍त कर दिया है। जिस पर मनीष सिसोदिया की ओर से प्रतिक्रिया दी गई। दरअसल, मानहानि के एक मामले में अरविंद केजरीवाल बुरी तरह फंसे हुए हैं। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली द्वारा उनपर मान‍हानि का एक मुकदमा पहले से चल रहा था, मगर पिछले सप्‍ताह जेटली ने केजरीवाल के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज कराया था। अरुण जेटली ने मानहानि मामले में नया केस केजरीवाल के वकील रामजेठमलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बाद दर्ज कराया है। इस मानहानि केस में जेटली ने 10 करोड़ रुपये की मांग की है। जेटली ने दिसंबर 2015 में अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढ़ा सहित छह आप नेताओं पर मानहानि का केस दर्ज कराया था। आप नेताओं ने जेटली पर आरोप लगाया था कि जेटली ने दिल्‍ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष के 13 साल के कार्यकाल में कई वित्‍तीय गड़बड़ियां कीं।

17 मई, 2017 को कोर्ट में मुख्यमंत्री केजरीवाल की तरफ से केस लड़ रहे वकील राम जेठमलानी ने जिरह के दौरान कहा, ‘अरुण जेटली बदमाश (Crook) हैं और ये मैं दिखाउंगा।’ जेठमलानी के इन शब्दों के बाद अरुण जेटली ने इसपर कड़ा विरोध जताया और मानहानि की कीमत बढ़ाने की चेतावनी भी दी। इस दौरान जेटली ने कहा कि आप निजी जिंदगी को लेकर हमले कर रहे हैं ये ठीक नहीं है। इस शब्द से जेटली गुस्से में आ गए और दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई। जिसके बाद कोर्ट को सुनवाई भी स्थगित करनी पड़ी। सफाई में जेठमलानी ने कहा कि उन्होंने अपने मुवक्किल केजरीवाल के कहने पर इस शब्द का इस्तेमाल किया था। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि कोर्ट में इस तरह की हरकत नहीं होनी चाहिए। सभी दलीलें कानून के दायरे में रखी जानी चाहिए।

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