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दिल्ली हाईकोर्ट- विधायकों और नौकराशाही के बीच विश्वास की बेहद कमी…

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर मध्य रात्रि में हमला और इसके बाद विधानसभा की कई समितियों द्वारा उन्हें नोटिस जारी करना विधायकों और नौकरशाही के बीच, ‘विश्वास की बेहद कमी’ को दिखाता है. अदालत ने दिल्ली सरकार को अब से विधायकों और नौकरशाहों के बीच होने वाली सभी बैठकों की वीडियोग्राफी करने का भी सुझाव दिया. अदालत ने आप सरकार को सलाह दी कि वह ऐसे कदम उठाए ताकि भविष्य में ‘कोई अनेपक्षित घटना’ नहीं हो’ और पारदर्शिता कायम रखी जा सके.

अदालत का आदेश आप विधायक प्रकाश जारवाल को जमानत देने के साथ आया, जिन्हें 19-20 फरवरी की दरम्यानी रात में यहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर बैठक के दौरान मुख्य सचिव पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, ‘‘ मौजूदा याचिका का निपटारा करने से पहले यह अदालत यह रेखांकित करना चाहती है कि दलीलों के दौरान विधानसभा के सदस्यों और नौकरशाही के बीच विश्वास की बेहद कमी दिखी.’’ जारवाल देवली से विधायक हैं. उन्हें कथित घटना के एक दिन बाद 20 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था. अदालत ने सात मार्च को उनकी जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जहां राज्य और अधिकारी असुरक्षित महसूस करते हों और एक दूसरे को डरा रहे हों. इसी मामले में 21 फरवरी को गिरफ्तार किए गए ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान की जमानत याचिका अदालत के समक्ष लंबित है.

22 मार्च तक दोनों विधायकों को जेल भेजा गया था
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शेफाली बरनाला टंडन ने विधायकों की न्यायिक हिरासत 22 मार्च तक बढ़ाते हुए उन्हें मंडोली जेल भेज दिया था. न्यायिक हिरासत की अवधि खत्म होने पर गुरुवार को उन्हें अदालत में पेश किया गया था. खान और जारवाल को अदालत ने 22 फरवरी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. अदालत ने इस मामले को बेहद संवेदनशील करार दिया था. अगले ही दिन उनकी जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दी गई थीं.

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